भारत की जनता को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपेक्षा है कि वे देश में बड़े बदलाव करें। हालांकि लोकतंत्रीय शासन पद्धति में प्रधानमंत्री अकेला निर्णय नहीं लेता, मंत्रिमण्डल के सामूहिक निर्णय से सरकार चलती है। मंत्रिमण्डल अपने राजनीतिक दल की नीतियों के अनुसार निर्णय लेता है तथा राजनीतिक दल जनता की अपेक्षा के अनुसार सरकार पर दबाव बनाता है। इतना सब होने पर भी प्रधानमंत्री का व्यक्तित्व ही अंततोगत्वा सरकार के समस्त निर्णयों एवं नीतियों पर आच्छादित रहता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विगत साढ़े दस वर्षों से भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार चला रहे हैं। उनका व्यक्तित्व पहले ही दिन से करिश्माई नेता जैसा रहा है।
नरेन्द्र मोदी से पहले भारत की राजनीति में दो ही नेता करिश्माई माने जाते रहे हैं- जवाहर लाल नेहरू एवं इंदिरा गांधी किंतु उनके करिश्माई नेतृत्व किसी काम के नहीं निकले। उन्होंने जो नीतियां बनाईं, देश की राजनीति को जो दिशा दी, भारत के सामाजिक ढांचे का जो सत्यानाश किया, उससे भारत देश कम और धर्मशाला अधिक बन गया। जिसकी मर्जी आए, देश में घुसे और नागरिक बनकर देश की सरकार को चुने। मजहब के नाम पर देश में अधिक से अधिक सुविधाएं ले और देश के नागरिकों के गले काटे।
नरेन्द्र मोदी सरकार ने विगत साढ़े दस वर्षों में पुरानी सरकारों की नीतियों को त्यागकर नई राजनीति का आरम्भ किया है। इस अवधि में नरेन्द्र मोदी सरकार ने बहुत से अद्भुत कार्य किए हैं किंतु भारत के भाग्य को बदल सकने वाले कार्य अब भी नरेन्द्र मोदी सरकार के संकल्प और कर्म की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
भारत की जनता को विशेषकर हिन्दू जनता को, यदि और अधिक स्पष्ट कहें तो बीजेपी के मतदाताओं को नरेन्द्र मोदी से अपेक्षा है कि वे देश के भीतर कुछ बहुत बड़े परिवर्तन करें। यदि नरेन्द्र मोदी सरकार इन परिवर्तनों की ओर कदम बढ़ाती है तो निश्चित रूप से न केवल राष्ट्र मजबूत होगा, न केवल देश के भीतर शांति बढ़ेगी, न केवल भारत का भविष्य सुरक्षित होगा, अपितु एक ऐसे नए इतिहास का निर्माण होगा जिसकी गूंज शताब्दियों तक बनी रहेगी। नरेन्द्र मोदी भी सच्चे करिश्माई नेता सिद्ध होंगे।
प्रत्येक हिन्दू को नरेन्द्र मोदी से अपेक्षा है कि भारत में अवैध रूप से निवास कर रहे प्रत्येक रोहिंग्या को देश से बाहर निकालकर उनके अपने देशों बांगलादेश या बर्मा में धकेल दिया जाए।
जनता की दूसरी अपेक्षा यह है कि भारत सरकार वक्फ बोर्ड को तुरंत भंग करे। वक्फ बोर्ड की सम्पूर्ण सम्पत्ति का राष्ट्रीयकरण किया जाए तथा इस सम्पत्ति को देश के बेरोजगार नौजवानों के लिए रोजगार विकसित करने में प्रयुक्त किया जाए। आज वक्फ बोर्ड के पास दस लाख हैक्टेयर भूमि है। यह भूमि देश के विकास में काम आए न किसी मजहबी फिरके की सम्पत्ति बनकर रहे।
जनता की तीसरी अपेक्षा यह है कि प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट को तुरंत समाप्त करके एक ऐसा कानून बनाया जाए जिसके तहत देश के उन समस्त स्थलों का संवैधानिक सर्वे करवाया जा सके जिन पर हिन्दू अपना दावा जताते हैं। उन दावों का निबटारा करने के लिए विशेष न्यायिक ट्रिब्यूनल बनाए जाने चाहिए। जो स्थल प्राचीन हिन्दू धार्मिक स्थल के रूप में पहचाने जाते हैं, उन्हें वापस हिन्दुओं को त्वरित गति से लौटाया जाए। उसके लिए वर्षों अथवा दशकों तक कानूनी कार्यवाहियां न चलें।
नरेन्द्र मोदी सरकार से जनता की चौथी अपेक्षा यह है कि भारत के संविधान में इंदिरा गांधी द्वारा इमरजेंसी के दौरान जबर्दस्ती जोड़े गए धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्दों को हटाया जाए तथा भारत के संविधान की उद्देश्यिका पुनः वैसी ही कर दी जाए जैसी कि 1950 में देश का संविधान लागू करते समय थी।
जनता की नरेन्द्र मोदी से अपेक्षा है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की एकता एवं अखण्डता के लिए कार्य किए जाएं। नरेन्द्र मोदी सरकार भारत की एकता और अखण्डता को मजबूत करने के लिए कुछ बड़े कदम उठाए।
सरकार द्वारा देश के भीतर महजबी कलह को समाप्त करने तथा देश में सुख एवं शांति का वातावरण बनाने के लिए अल्पसंख्यक बोर्ड जैसी समस्त संस्थाओं को समाप्त करके राष्ट्रीय एकता बोर्ड जैसी संवैधानिक संस्थाएं गठित की जानी चाहिए। इन संस्थाओं का कार्य यह हो कि जो लोग अथवा जिनके पूर्वज विगत एक हजार सालों में भय, लालच, विवशता अथवा भ्रम वश हिन्दू धर्म छोड़कर चले गए हैं, उन्हें अपनी मर्जी से पुनः हिन्दू धर्म में लाने के शांतिपूर्ण प्रयास किए जाएं।
नरेन्द्र मोदी सरकार से जनता की छठी अपेक्षा यह है कि जिस प्रकार उन्होंने भारत की राजनीति को परिवारवाद से मुक्त करवाया है, उसी प्रकार वे भारत की ज्युडीशियरी को लगभग 30-32 परिवारों के वर्चस्व से मुक्त करवाएं। विगत पिचहत्तर सालों से भारत के उच्च न्यायालयों एवं सर्वोच्च न्यायालयों में पीढ़ी दर पीढ़ी इन्हीं परिवारों के सर्वाधिक जज बन रहे हैं। भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए जज बनने के समान अवसर उपलब्ध होने चाहिए।
यदि नरेन्द्र मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में इनमें से आधे कार्य भी कर पाती है और आधे कार्य अपने चौथे कार्यकाल में करने का लक्ष्य निर्धारित करती है तो भारत की जनता को बड़ी राहत मिलेगी तथा देश में अशांति का वातावरण समाप्त होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपेक्षा है कि वे समय रहते कदम उठाएं तथा उन संकल्पों को पूरा करें जो जनसंघ की स्थापना के समय नेताओं ने लिए थे।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता