Wednesday, October 16, 2024
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ऐश्वर्या राय से क्यों नाराज हैं राहुल गांधी?

ऐश्वर्या राय एक फिल्म अभिनेत्री हैं और राहुल गांधी भारत की लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं, दोनों एक दूसरे के रास्ते कहीं नहीं काटते, फिर भी राहुल गांधी ऐश्वर्या राय से क्यों नाराज हैं, यह समझ से परे है!

राहुल गांधी का अयोध्या के राम मंदिर से क्या रिश्ता है, इसे समझना अधिक कठिन नहीं है, राहुल गांधी का अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद से क्या रिश्ता है, इसे समझना भी कठिन नहीं है, राहुल गांधी का नरेन्द्र मोदी, गौतम अडानी तथा मुकेश अम्बानी से क्या रिश्ता है, इसे भी समझना कठिन नहीं है किंतु राहुल गांधी का ऐश्वर्या राय एवं उनके परिवार से क्या रिश्ता है, यह समझ में नहीं आता!

राहुल गांधी जनसभाओं में राम मंदिर उद्घाटन पर अमिताभ बच्चन तथा ऐश्वर्या बच्चन की उपस्थिति का उल्लेख जितने क्रोध, व्यथा, निराशा और शिकायत के साथ करते हैं, उसे देखकर मन में यह स्वाभाविक सा प्रश्न उठता है कि बच्चन परिवार और राहुल गांधी के बीच का ये रिश्ता क्या कहलाता है?

अयोध्या जन्मभूमि मंदिर का ताला राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी की सरकार के समय में खुला, सब जानते हैं!

जन्मभूमि पर विवादित ढांचा कांग्रेसी प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हाराव के समय में टूटा, सब जानते हैं!

जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के समय गांधी और बच्चन परिवार के कितने गहरे सम्बन्ध थे, सब जानते हैं!

रिश्तों की इतनी गहराइयों के बावजूद राहुल गांधी न तो कभी अयोध्या मंदिर का उल्लेख श्रद्धा के साथ करते हैं और न बच्चन परिवार का उल्लेख आदर के साथ करते हैं।

राहुल गांधी किसमें श्रद्धा रखें और किसमें नहीं, किसका नाम आदर से लें और किसका नहीं, यह उनका व्यक्तिगत मामला हो सकता है किंतु जब वे जनसभाओं में रामंदिर तथा उसके साथ बच्चन परिवार का उल्लेख जिस गुस्से और तिरस्कार पूर्ण ढंग से करते हैं, उसे देखकर यह मामला व्यक्तिगत नहीं रह जाता, अपितु राजनीतिक हो जाता है।

हालांकि गांधी और बच्चन परिवार के पुराने सम्बन्धों का विवरण पब्लिक डोमेन में उपलब्ध है तथापि राहुल गांधी और बच्चन परिवार का रिश्ता क्या कहलाता है, इसे समझने से पहले गांधी और बच्चन परिवार के रिश्तों पर थोड़ी सी दृष्टि डालनी आवश्यक है।

जिस समय राहुल गांधी का जन्म भी नहीं हुआ था और संभवतः राहुल की माता सोनिया गांधी का भी जन्म नहीं हुआ था, उस समय भी नेहरू और हरिवंशराय बच्चन के सम्बन्ध तथा इंदिरा गांधी और तेजी बच्चन के सम्बन्ध बहुत अच्छे हुआ करते थे।

तेजी बच्चन सरदार खजानसिंह सूरी की पुत्री थीं तथा लाहौर के खूबचंद डिग्री कॉलेज में साइकॉलोजी पढ़ाया करती थीं। 1942 में उन्होंने बाबूपट्टी के कायस्थ लड़के हरिवंश राय श्रीवास्तव से विवाह किया जो अपना नाम हरिवंशराय बच्चन लिखा करते थे। तेजी बच्चन हरिवंश राय की दूसरी पत्नी थीं क्योंकि हरिवंश की पहली पत्नी श्यामा का निधन 1936 में हो गया था।

हरिवंश राय बच्चन विदेश मंत्रालय में हिन्दी अधिकारी थे। वे हिन्दी के अच्छे कवि थे और अंग्रेजी भी अच्छी जानते थे। इन कारणों से प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू हरिवंश राय बच्चन को पसंद करते थे और आदर भी दिया करते थे।

हरिवंशराय बच्चन और जवाहर लाल नेहरू की निकटता के कारण हरिवंशराय बच्चन की पत्नी तेजी बच्चन तथा नेहरू की पुत्री इंदिरा गांधी अच्छी मित्र बन गईं।

इस प्रकार गांधी परिवार और बच्चन परिवार के सम्बन्ध बरसों-बरस चलते रहे। जब राजीव गांधी सोनिया गांधी को भारत में लाए तो उन्होंने सोनिया गांधी को तेजी बच्चन के घर में रखा। इंदिरा गांधी नहीं चाहती थीं कि राजीव गांधी का विवाह किसी विदेशी लड़की से हो किंतु तेजी बच्चन के मनाने पर इंदिरा गांधी अपने पुत्र का विवाह एक विदेशी लड़की से करने को तैयार हो गईं।

इंदिरा गांधी की हत्या होने तक गांधी परिवार और बच्चन परिवार के सम्बन्ध मधुर बने रहे किंतु जैसे ही इंदिरा गांधी दृश्य से हटीं, गांधी परिवार और बच्चन परिवार के सम्बन्ध बदलने लगे। ये सम्बन्ध यहाँ तक बदले कि कुछ बातें पब्लिक डोमेन में भी आ गईं। फिर भी सम्बन्ध चलते रहे।

राजीव गांधी ने 1984 में अमिताभ बच्चन को कांग्रेस से सांसद का चुनाव लड़वाया किंतु कुछ समय बाद अमिताभ बच्चन ने लोकसभा से त्यागपत्र दे दिया। पब्लिक डोमेन में यह धारणा है कि अमिताभ बच्चन की लोकप्रियता को देखकर ही राजीव गांधी ने अमिताभ बच्चन से त्यागपत्र लिया था। संभवतः तभी से गांधी परिवार और बच्चन परिवार के सम्बन्ध पूरी तरह टूट गए। दोनों परिवारों में बोलचाल समाप्त हो गई।

1999 में समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया। इसके बाद बच्चन परिवार समाजवादी पार्टी की तरफ मुड़ा। परिणाम यह हुआ कि वर्ष 2004 में अमिताभ बच्चन की अभिनेत्री पत्नी जया बच्चन को समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा में सांसद बनाया। तब से लेकर अब तक वे पांचवीं बार राज्यसभा में सांसद हैं। राज्यसभा में उनका पूरा नाम जया अमिताभ बच्चन हैं।

जब राममंदिर का उद्घाटन हुआ तो राहुल गांधी ने बड़े कड़वे अंदाज में कहा कि मैंने उद्घाटन समारोह में अडानी और अम्बानी को देखा, अमिताभ बच्चन को देखा, ऐश्वर्या राय को नाचते हुए देखा। लोगों ने राहुल की बात पर हैरानी जताई कि न तो ऐश्वर्या राय वहाँ नाच रही थी और न राहुल को किसी ऐसी महिला पर ऐसी टिप्पणी करनी चाहिए जो कि विवाद में है ही नहीं!

राममंदिर के उद्घाटन को कुछ महीने ही बीते होंगे कि टेलिविजन पर ये हैरानी भरी दृश्य देखे गए कि जया बच्चन ने राज्यसभा के सभापति एवं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से तथा एक उपसभापति से इस बात पर वाक्युद्ध किया कि मेरे नाम के साथ मेरे पति का नाम लेकर मुझे अपमानित क्यों लिया जाता है। जया बच्चन ने इस बात पर इतनी गर्मी दिखाई कि लोगों ने यह कहना शुरु कर दिया कि जया बच्चन को अमिताभ बच्चन से परेशानी है। इसलिए वे ऐसा कर रही हैं।

जया बच्चन के वाक्युद्ध के दिन या उसके एक-दो दिन बाद विपक्षी दलों ने संसद से निकलकर सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन किया और नारे लगाए। लोगों ने बड़ी हैरानी से देखा कि सोनिया गांधी और जया बच्चन एक साथ खड़ी होकर सरकार के विरुद्ध नारे लगा रही थीं और मीडिया को बाइट दे रही थीं।

इस घटना को भी अभी अधिक दिन नहीं बीते हैं कि कल अर्थात् 28 सितम्बर 2024 को  हरियाणा में एक जनसभा में राहुल गांधी ने फिर से बड़े तल्ख अंदाज में टिप्पणी की कि मैंने राममंदिर के उद्घाटन में अडानी और अम्बानी को देखा, करोड़पतियों को देखा, अमिताभ बच्चन और ऐश्वर्या राय को देखा। उद्घाटन के नाम पर नाच-गाना हो रहा था।

इस प्रकार एक ओर तो जया बच्चन अपने साथ अपने पति का नाम लिए जाने पर ऐतराज करती हैं, दूसरी ओर वे सोनिया गांधी के साथ खड़ी होकर सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन करती हैं और तीसरी ओर राहुल गांधी जया बच्चन के पति एवं पुत्रवधू का विरोध सार्वजनिक मंचों से करते हैं।

समझ में ही नहीं आता कि ये रिश्ते क्या कहलाते हैं!

राहुल गांधी नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को शत्रु समझें तो बात समझ में आती है, आर एस एस पर प्रहार करें, बात समझ में आती है, गौतम अडानी और मुकेश अम्बानी को बर्बाद करने पर उतारू रहें, बात समझ में आती है किंतु अमिताभ बच्चन और ऐश्वर्या राय पर बार-बार जहर उगलें, यह बात समझ में नहीं आती। इन दोनों ने राहुल गांधी का क्या दबा लिया है! न तो ये सरकार में या राजनीति में हैं, न ये किसी राजनीतिक पार्टी को चंदा देते हैं, फिर इनसे इतनी परेशानी क्यों?

अच्छा हो यदि राहुल गांधी ऐश्वर्या राय के प्रति अपनी कड़वाहट का रहस्य उजागर करें। इसलिए करें क्योंकि वे इस मुद्दे को बार-बार सार्वजनिक सभाओं में उठा रहे हैं।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

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