योगी आदित्यनाथ ने जन्माष्टमी के दिन जो कुछ कहा, वैसा कहने की हिम्मत वर्ष 2014 से पहले देश में केवल दो ही राजनेताओं में थी, एक तो स्वयं योगी आदित्यनाथ जिन्होंने भारत की संसद में सनातन की रक्षा के लिए राजनीतिक दलों से बार-बार गुहार लगाई और दूसरे गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी।
आदित्यनाथ योगी और नरेन्द्र मोदी में अंतर केवल इतना है कि जो बात योगी खुलकर बोलते हैं, उसे नरेन्द्र मोदी संकेतों में कहते हैं, उदाहरण भर देते हैं जैसे कि कपड़ों से पहचान लो, कार के पिछले पहिए के नीचे आदि-आदि।
अभी उन बातों को अधिक दिन नहीं हुए हैं जब नई संसद में प्रतिपक्ष के नेता की हैसियत से राहुल गांधी ने हिन्दुओं को हिंसक कहा। इस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि अब सनातन को भी सोचना होगा।
नरेन्द्र मोदी सनातन को क्या सोचने के लिए कह रहे थे! आदित्यनाथ योगी ने वही स्पष्ट किया है कि बंटेंगे तो कटेंगे! एक रहेंगे तो नेक रहेंगे। स्वाभाविक है कि राहुल, अखिलेश एवं औबेसी जैसे नेता हायतौबा मचाएं कि योगी ने ऐसा क्यों कहा!
क्या विगत एक शताब्दी में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांगलादेश में सनातन के साथ जो कुछ हो गया है और उन्हें निरीह पशुओं की तरह काट दिया गया है, उसे देखकर सनातन को अपने लिए सोचने का अधिकार नहीं है! क्या सनातन को अपने बचाव के लिए एक रहने का अधिकार नहीं है!
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में और योगी आदित्यनाथ ने सार्वजनिक मंच से जो कुछ कहा है, वही चिंता कुछ महीने पहले असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा भी सार्वजनिक रूप से प्रकट कर चुके हैं। उन्होंने देश को स्पष्ट शब्दों में बताया कि असम की डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है, कुछ ही दशकों में असम में हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे। यह मेरे लिए अस्तित्व का प्रश्न है।
क्या होता है, जब देश की डेमोग्राफी बदलती है! इसे समझने के लिए अयोध्या संसदीय क्षेत्र के चुनाव परिणाम को देखना पर्याप्त है। भाजपा जैसा मजबूत राजनीतिक दल, राममंदिर बनवाकर भी, धारा 370 हटाकर भी, निशुल्क आटा खिलाकर भी, अलग लद्दाख क्षेत्र बनवाकर भी, सिटीजनशिप अमेंडमेंट कानून लाकर भी, अयोध्या संसदीय क्षेत्र का चुनाव हार जाता है और अखिलेख यादव जैसा सनातन विरोधी नेता 37 सीटें पाकर एवं राहुल गांधी जैसा सनातन विरोधी नेता 99 सीटें पाकर सनातन धर्म वालों का संसद के भीतर और बाहर उपहास करते हैं, उसे हिंसक बताते हैं।
पूरी दुनिया में लेबनान देश में डेमोग्राफिक परिवर्तन से हुए विनाश की चर्चा हो रही है। कुछ दशक पहले तक लेबनान ईसाई देश हुआ करता था, चुपचाप वहाँ की डेमोग्राफी बदल दी गई। आज लेबनान मुस्लिम देश है। कभी इजराइल के समर्थन में खड़ा रहने वाला लेबनान आज इजराल से भयानक युद्ध कर रहा है।
इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि योगी आदित्यनाथ को यह क्यों कहना पड़ा कि बंटेंगे तो कटेंगे! योगी आदित्यनाथ ने यह बात राहुल गांधी और अखिलेश यादव आदि सनातन विरोधी राजनीति करने वाले नेताओं द्वारा की जा रही जातीय जनगणना की मांग के विरोध में कही है। जातीय जनगणना सनातन को बांटने का षड़यंत्र है।
देश में जातीय आधार पर लागू की गई आरक्षण व्यवस्था पहले ही सनातन को एससी, एसटी, ओबीसी और जनरल में बांट चुकी है, अब सनातन के बारीक टुकड़े करने की तैयारी है। हालांकि कांग्रेस इस दिशा में बहुत पहले से ही जुटी हुई है। इसे इस बात से समझा जा सकता है कि अंग्रेजों ने जब 1931 में जातीय आधारित जनगणना करवाई थी, तब भारत में 4147 जातियां पाई गई थीं किंतु कांग्रेस की सरकार द्वारा वर्ष 2011 के आर्थिक सर्वेक्षण में 46 लाख से अधिक जातियों के नामों की सूची तैयार करवाई गई थी।
इतना तो कोई भी सामान्य समझ वाला व्यक्ति जानता है कि भारत में 46 लाख जातियां नहीं रहतीं। कांग्रेस इस सूची की आड़ में क्या खेल करना चाहती थी, इसे समझना कठिन है।
राहुल गांधी, मुलायमसिंह के सुपुत्र अखिलेश यादव और चिराग पासवान आदि नेता जातीय जनगणना करवाकर उससे कौनसा सामाजिक अथवा आर्थिक लक्ष्य प्राप्त करना चाहते हैं?
जातीय जनगणना के आधार पर न तो खेती की भूमि का फिर से बंटवारा होगा, न पशुपालकों की भैंसें बांटी जाएंगी। ट्रैक्टर भी जहाँ खड़े हैं, वहीं रहेंगे। लोकसभा में 545 के आसपास सीटें हैं, इन सीटों को हजारों अथवा लाखों जातियों में कैसे बांटा जाएगा! सरकार नौकरियों को भी जातीय आधार पर कैसे बांटा जाएगा।
जातीय जनगणना से केवल एक ही लक्ष्य प्राप्त होगा कि सनातन के सामाजिक ताने-बाने में असंतोष को चरम पर पहुंचाकर उसे आपस में ही लड़वा कर बिखेर दिया जाए। अतः योगी आदित्यनाथ की बात समय रहते सुनी जानी चाहिए। एक रहिए, नेक रहिए। सनानत को एक मजबूत शक्ति के रूप में स्थापित कीजिए।
सनातन के सामाजिक एवं आर्थिक ताने-बाने को सुधारने के लिए वैज्ञानिक पद्धति से एवं योजनाबद्ध ढंग से काम किया जाना चाहिए न कि जातीय जनगणना करवाकर भारत राष्ट्र के अस्तित्व के लिए कोई बड़ा खतरा पैदा करना चाहिए।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता