वल्लभभाई के दो प्रश्नों पर ही मजिस्ट्रेट ने उनके मुवक्किल की जमानत स्वीकार कर ली
जब सरदार पटेल वकालात किया करते थे, तब किसी मुवक्किल का मुकदमा लेने से पहले स्वयं आश्वस्त होते थे कि मुवक्किल निर्दोष है तथा उसने अपराध नहीं किया है। इस कारण आदलतों में सरदार पटेल की बड़ी प्रतिष्ठा थी। इस कारण कोई मजिस्ट्रेट सरदार पटेल के मुकदमे को खारिज नहीं कर पाता था। फिर भी कई बार ऐसी घटनाएं हो जाती थीं जिनमें अंग्रेज मजिस्ट्रेट बिना किसी ठोस कारण के गलत निर्णय करता था। ऐसी स्थिति में मजिस्ट्रेट को सरदार पटेल के कोप का सामना करना पड़ता था।
एक बार वल्लभभाई पटेल ने एक कोर्ट में अपने एक मुवक्किल की जमानत के लिये अर्जी लगाई। वह मुवक्किल खेड़ा जिले का था। चूंकि खेड़ा जिले के किसान भूराजस्व में कमी करवाने को लेकर अंग्रेज सरकारी की नीतियों के विरुद्ध आंदोलन करते रहते थे, इसलिए इस जिले के लोगों को अंग्रेज सरकार अपराधी किस्म का मानती थी। इस कारण मजिस्ट्रेट ने सरदार पटेल को सुने बिना ही मुवक्किल की जमानत अस्वीकार कर दी। सरदार ने मजिस्ट्रेट से जमानत नहीं देने का कारण पूछा।
मजिस्ट्रेट ने कहा कि यह आदमी खेड़ा जिले का है, इसलिए मैं इसे जमानत नहीं दूंगा। इस पर वल्लभभाई ने मजिस्ट्रेट से पूछा कि खेड़ा जिले के आदमी को जमानत क्यों नहीं मिलेगी? जज ने कहा कि खेड़ा जिले के लोग अपराधी किस्म के होते हैं। इस पर सरदार वल्लभ भाई पटेल ने मजिस्ट्रेट से पूछा कि क्या खेड़ा जिले के हर आदमी को कोर्ट मुजरिम मानती है ?
मजिस्ट्रेट ने जब ऐसा मानने से मना किया तो वल्लभभाई ने दूसरा प्रश्न पूछा कि यदि ऐसा नहीं है तो उनके मुवक्किल को जमानत क्यों नहीं मिली जबकि उसके विरुद्ध कोई ठोस प्रमाण भी नहीं है ?
इस पर मजिस्ट्रेट ने कोर्ट स्थगित कर दी और वल्लभभाई के मुवक्किल की जमानत स्वीकार कर ली। इस प्रकार, दो प्रश्नों में ही वल्लभभाई के मुवक्किल को जमानत मिल गई।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता