Sunday, September 8, 2024
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नशेड़ी अंग्रेज मजिस्ट्रेट से निर्दोष सुनार के पक्ष में फैसला लिखवाया वल्लभभाई ने

अंग्रेजी राज्य में छोटे-छोटे झगड़ों पर लोग बड़े-बड़े मुकदमे खड़े कर देते थे। चूंकि मुकदमों का निर्णय गवाहों एवं साक्ष्यों के आधार पर होता था, इसलिए झूठे मुकदमे खड़े करने वाले लोग झूठे गवाहों एवं साक्ष्यों को बहुत अच्छी तरह से तैयार करते थे। बहुत से नशेड़ी अंग्रेज मजिस्ट्रेट तो प्रकरण को समझे बिना ही निर्णय करते थे। इन कारणों से निर्दोष व्यक्ति के लिए न्याय पाना बहुत कठिन हो जाता था।

एक बार एक सुनार पर आरोप लगा कि वह व्यभिचार की नीयत से एक औरत के घर में घुसा था। झूठे गवाहों के बल पर सुनार को सजा होना निश्चित था। आरोप लगाने वाले ने अपने पक्ष में मजबूत गवाह भी खड़े कर लिए। ये गवाह अलग-अलग कारणों से सुनार से नाराज थे।

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सुनार ने वल्लभभाई को अपना वकील बनाया। वादी पक्ष के झूठे गवाह इतने मजबूत थे कि उनकी बात काट पाना संभव नहीं था। इसलिये वल्लभभाई ने सुनार को बचाने का दूसरा रास्ता अपनाया। जिस कोर्ट में यह मुकदमा लगा हुआ था, उस कोर्ट का अंग्रेज मजिस्ट्रेट शराब पीकर कोर्ट आता था और चैम्बर में बैठकर ऊंघता रहता था। मुकदमों की सुनवाई उसका सहायक करता था। जब सुनार के मुकदमे की सुनवाई हुई तो भी, मुकदमे की जिरह, मजिस्ट्रेट का सहायक सुनने लगा। इस पर पटेल ने कहा कि मुकदमा सुनने का अधिकार केवल मजिस्ट्रेट को है।

इस पर नशेड़ी अंग्रेज मजिस्ट्रेट अपने चैम्बर से निकलकर कोर्ट में आ गया। मजिस्ट्रेट नशे में था और उसे आधे ही शब्द समझ में आ रहे थे। वल्लभभाई यही चाहते थे, उन्होंने मजिस्ट्रेट से कहा कि हमारे पिछड़े और रूढ़िवादी समाज में जब इस प्रकार की बातें होती हैं तो उन्हें बुरी बात माना जाता है किंतु आपके उन्नत और आधुनिक समाज में यह कोई अपराध नहीं। अपने समाज की प्रशंसा सुनकर अंग्रेज मजिस्ट्रेट खुश हो गया।

उसे यह बात आसानी से समझ आ गई कि प्रतिवादी का वकील अंग्रेजों की प्रशंसा कर रहा है। उसे यह भी समझ में आ गया कि जो बात अंग्रेजों में बुरी नहीं है, वह बात भारतीयों में क्यों बुरी होनी चाहिये। उसने सुनार को छोड़ दिया। मजिस्ट्रेट के सहायक और वादी के वकील ने पूरा जोर लगाया किंतु नशे में धुत्त मजिस्ट्रेट यही कहता रहा कि जो बात अंग्रेजों के लिये अपराध नहीं है, वह भारतीयों के लिये अपराध कैसे है!

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

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