अभी वल्लभभाई गांव की स्कूल में ही पढ़ रहे थे कि ई.1893 में 18 साल की आयु में उनका विवाह 13 साल की झबेर बा से हो गया। अल्पवय होने के कारण झबेर बा अपने पीहर में ही रहीं और वल्लभभाई अध्ययन में लगे रहे।
जैसे-जैसे वल्लभभाई स्वाध्याय करते जा रहे थे, वह इस बात को समझते जा रहे थे कि यदि उन्हें जीवन में ज्ञान प्राप्त करना है तो अंग्रेजी भाषा का अध्ययन करना आवश्यक है। वे यह जानकर आश्चर्य चकित थे कि अंग्रेजी बोलने वाले अंग्रेजों का इंग्लैण्ड, बहुत छोटा सा देश है किंतु उन्होंने दुनिया में अपना राज्य इतना फैला लिया है कि उसमें कभी सूरज नहीं डूबता। इसलिये वे लंदन जाकर देखना चाहते थे कि आखिर उस देश में ऐसी क्या विशेष बात है ? करमसद के स्कूल में अंग्रेजी की पढ़ाई नहीं होती थी जबकि करमसद से 11 किलोमीटर दूर पेटलाड गांव में अंग्रेजी भाषा का अच्छा स्कूल था। सरदार ने निर्णय लिया कि अब वे करमसद में नहीं अपितु पेटलाड में पढ़ेंगे।
उन्हीं दिनों में वल्लभाई का अपने स्कूल के एक शिक्षक से विवाद इतना अधिक बढ़ गया था कि बात-बात पर झिकझिक होने लगी। इस कारण पढ़ाई में विघ्न उत्पन्न होता था। इस स्थिति से उबरने के लिये भी यह आवश्यक था कि पटेल दूसरे स्कूल में चले जायें। इसलिये वल्लभभाई ने अपने छः मित्रों को पेटलाड की स्कूल में प्रवेश लेने के लिये सहमत कर लिया। सातों मित्रों ने मिलकर पेटलाड में एक कमरा किराये पर लिया और पढ़ाई में जुट गये।
वे रविवार को अपने घर जाकर वहाँ से राशन लेकर आते और बारी-बारी से खाना बनाते, बरतन साफ करते और अन्य घरेलू कार्य करते। इस प्रकार ई.1897 में वल्लभभाई ने 22 वर्ष की आयु में मैट्रिक उत्तीर्ण की। झबेर बा इस समय भी अपने पीहर में रह रही थीं।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता