पुर्तगालियों ने अराकानी स्त्रियों के साथ विवाह करने आरम्भ कर दिए क्योंकि पुर्तगाली औरतें भारत में आकर रहने को तैयार नहीं थीं। औरंगजेब को पसंद नहीं था कि पुर्तगाली पुरुष भारतीय औरतों से विवाह करें!
मुगलों के शासनकाल में भारत की उत्तरी-पूर्वी सीमा पर अराकान नामक प्रसिद्ध राज्य था। इस क्षेत्र में सदियों से भारतीय आर्य-राजा राज्य करते आ रहे थे। महाभारत काल में पाण्डवों ने, बौद्ध काल में अशोक ने तथा गुप्त सम्राटों के काल में समुद्रगुप्त ने अराकान के जंगली लोगों को पराजित करके अपने अधीन किया था। इस कारण अराकान के शासक आर्य जाति के थे किंतु अराकान की प्रजा वनवासी थी।
पाठकों को स्मरण होगा कि जब औरंगजेब के बेटों में तख्त और ताज के लिए खून-खच्चर मचा था तो औरंगजेब द्वारा भेजी गई सेनाओं के डर से औरंगजेब का बड़ा भाई शाहशुजा जो कि बंगाल का सूबेदार था, अपनी राजधानी ढाका छोड़कर अराकान के जंगलों में भाग गया था। उस समय अराकान में माघ वंश का शासन था जो कि सदियों से हिन्दू धर्म को मानता आया था।
अराकान के इसी हिन्दू राजा ने शाहशुजा को शरण दी थी किंतु कुछ समय बाद जब कृतघ्न मुगल शहजादे ने अराकान के राजा की हत्या का षड्यन्त्र रचा तो अराकान के राजा ने शाहशुजा का वध करने के आदेश दिए। इस पर शाहशुजा रातों-रात अराकान के राजा का महल छोड़कर जंगलों भाग गया। अराकान के पहाड़ों में रहने वाले जंगली लोगों ने शाहशुजा और उसके हरम को पकड़ लिया तथा उनका सामान लूट कर उन सभी लोगों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए।
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माघ राजाओं की राजधानी चटगांव थी। जब वास्कोडीगामा भारत आया था तो पुर्तगालियों की एक बस्ती गोआ के आसपास बसनी आरम्भ हुई थी। इन्हीं पुर्तगालियों में से कुछ लोग अकबर के समय चटगाँव चले आए और राजधानी चटगाँव में उन्होंने एक व्यापारिक कोठी तथा बस्ती बना ली। इन पुर्तगालियों को स्थानीय लोग फिरंगी कहते थे।
फिरंगियों ने माघ राजाओं से गठबन्धन कर लिया था जिसके अनुसार पुर्तगाली व्यापारी, माघ राजा को कर एवं उपहार देते थे तथा उनके बदले में माघ राजा पुर्तगालियों के जहाजों एवं बस्ती को संरक्षण देते थे ताकि स्थानीय लोग पुर्तगालियों पर हमला न करें।
आगे चलकर पुर्तगालियों ने भारतीय औरतों से विवाह करने आरम्भ कर दिए क्योंकि पुर्तगाली औरतें भारत में आकर रहने को तैयार नहीं थीं। चटगांव के पुर्तगाली जब अमीर हो गए तो उन्होंने अपनी छोटी-मोटी सेना बना ली और वे बंगाल के निचले भाग में समुद्री तट तथा नदियों के तट पर लूट-खसोट करने लगे। भारतीय औरतों से विवाह करना उनके लिए प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गया।
भारतीय औरतों से विवाह करना पुर्तगाली मर्दों को इसलिए भी अच्छा लगता था क्योंकि वे पुर्तगाली औरतों से अधिक सुंदर थीं, विशेषकर अराकानी औरतें।
पाठकों को स्मरण होगा कि जब छत्रपति शिवाजी ने औरंगजेब के मामा शाइस्ता खाँ को पूना से मार भगाया था तो औरंगजेब ने शाइस्ता खाँ को बंगाल का गवर्नर बना दिया था। औरंगजेब ने शाइस्ता खाँ को आदेश दिए कि वह इन पुर्तगालियों को दण्डित करे तथा अराकानियों को नष्ट करके चटगांव पर अधिकार कर ले।
औरंगजेब ने अराकानियों पर आरोप लगाया कि उन्होंने बंगाल के पूर्व सूबेदार शाहशुजा तथा उसके परिवार की हत्या की थी। शाइस्ता खाँ ने एक नौ-सेना तैयार की और ब्रह्मपुत्र नदी के मुहाने पर स्थित सन्द्वीप नामक द्वीप पर अधिकार कर लिया।
उन्हीं दिनों माघ राजा तथा फिरंगियों में झगड़ा हो गया। शाइस्ता खाँ ने इस स्थिति से लाभ उठाते हुए फिरंगियों को अपनी ओर मिला लिया।
अब चटगाँव पर आक्रमण करना सरल हो गया। पुर्तगालियों के एक जहाजी बेड़े ने अराकानियों के जहाजी बेड़े को नष्ट कर दिया। इसके बाद मुगल सेना ने चटगाँव पर अधिकार जमा लिया और चटगांव का नाम इस्लामाबाद रखकर उसे बंगाल प्रांत में सम्मिलित कर लिया।
इस प्रकार ईस्वी 1666 में अराकानियों की शक्ति समाप्त हो गई तथा अब औरंगजेब ने पुर्तगालियों की स्वतंत्रता भी नष्ट करके उन्हें अपने अधीन कर लिया। अराकान के मुगलों के अधीन हो जाने के बाद पुर्तगालियों को भारतीय औरतों से विवाह करने से रोक दिया गया। क्योंकि इससे भारत में ईसाइयों की संख्या बढ़ रही थी जबकि औरंगजेब भारत में मुस्लिम जनसंख्या बढ़ाना चाहता था।
अराकान को जीतने के बाद औरंगजेब की सेना ने आसाम के अहोम शासक पर हमला कर दिया तथा उसके बहुत से प्रदेश छीन लिए। अहोम राजाओं ने मुगलों के विरुद्ध दीर्घकालीन संघर्ष छेड़ दिया ताकि अपने खोये हुए प्रदेशों को फिर से प्राप्त कर सकें।
ई.1667 में अहोम सेनाओं ने गौहाटी पर अधिकार कर लिया। मुगलों ने आसाम पर आक्रमण किया किंतु उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद दुर्भाग्यवश अगले ग्यारह वर्ष तक आसाम के राजवंश में गृहयुद्ध चलता रहा। इस छोटी सी अवधि में आसाम की गद्दी पर सात शासक बैठे।
इससे अहोम राजवंश कमजोर पड़ गया। अहोम राजवंश की कमजोरी का लाभ उठाकर ई.1679 में मुगलों ने फिर से आसाम पर अधिकार कर लिया। यह अधिकार दो वर्ष तक ही रह सका। इस प्रकार आसाम अधिक समय तक मुगलों के अधीन नहीं रहा किंतु कूचबिहार के शासकों ने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर ली।
इस प्रकार बिहार से लेकर बंगाल और आसाम तक का क्षेत्र औरंगजेब के अधीन हो गया। इस पूरे क्षेत्र में औरंगजेब ने इस्लाम का जबर्दस्त प्रसार करवाया और बहुत सी जनसंख्या मुसलमान हो गई।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता