इटली को ‘यूरोप का भारत’ कहा जाता है। ऐसा कहे जाने के पीछे कोई निश्चित कारण तो प्रतीत नहीं होता है फिर भी इस मान्यता के पीछे छिपे कुछ कारण दोनों देशों को देखने से स्वतः ही स्पष्ट होने लगते हैं।
भारत एवं इटली में समानता
इटली के लोगों का रंग भारत के उन गोरे लोगों जैसा है जो पंजाब, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखण्ड आदि प्रदेशों में रहते हैं। इनकी कद-काठी भी पंजाबियों से मिलती जुलती है। इटली के लोग मंझोले कद तथा गठे हुए शरीर के होते हैं। इटली के लोगों के बाल भी भारतीयों के बालों की तरह काले हैं जबकि यूरोपियन लोगों के बाल प्रायः सुनहरी पीली आभा लिए हुए सफेद होते हैं।
इटली के लोगों की आंखों की चमक भी कभी-कभी इनके भारतीय होने का आभास देती है। वास्तव में इटली के लोगों का मूल उद्गम आज से हजारों साल पहले के भारतीय आर्यों में छिपा हुआ है। यही कारण है कि इटली की मूल भाषा ‘लैटिन’ भी ‘संस्कृत’ के शब्दों से भरी पड़ी है।
जिस तरह भारत के लोग अब संस्कृत के स्थान पर संस्कृत से निकली हुई हिन्दी व्यवहार में लाते हैं, उसी प्रकार इटली के लोग लैटिन से बनी हुई ‘इटैलिया’ भाषा काम में लाते हैं। जिस तरह भारत एशिया के दक्षिणी भाग में स्थित है, उसी तरह इटली भी यूरोप के दक्षिणी भाग में स्थित है।
जैसे भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत शृंखला है, वैसे ही इटली के उत्तरी हिस्से में आल्प्स पर्वतमाला है। जैसे भारत को पूर्व, दक्षिण एवं पश्चिम में तीनों ओर से समुद्र घेरकर भारत को एक प्रायद्वीप बनाता है, वैसे ही इटली के भी पूर्व, दक्षिण एवं पश्चिम में तीन ओर समुद्र है और वह इटली को प्रायद्वीप बनाता है। इटली भी भारत की तरह कृषि-प्रधान देश है तथा यहाँ की जलवायु भी भारत के जलवायु की तरह विविधताएं लिए हुए है। जिस प्रकार भारत में खेत छोटे आकार के हैं तथा अधिकतर खेती मानव संसाधन एवं पशु-संसाधन के उपयोग से होती है, वही स्थिति इटली की भी है। इटली में भी भारत की तरह चावल तथा मक्का खूब पैदा होता है।
जिस प्रकार भारत संसार का प्राचीनतम देश है, उसी प्रकार इटली भी यूरोप का प्राचीनतम देश है। जिस प्रकार भारत के लोग बहु-देव वादी एवं मूर्ति-पूजक धर्म में विश्वास करते हैं, उसी प्रकार इटली में भी ईसाई धर्म के उदय से पहले बहुदेव वादी एवं मूर्ति-पूजक धर्म प्रचलन में था। जिस तरह भारत के लोग देवी-देवताओं के लिए पहाड़ों एवं मैदानों में मंदिर बनाते हैं, उसी प्रकार इटली के मूल धर्म को मानने वाले लोग भी देवी-देवताओं के लिए पहाड़ों एवं मैदानों में मंदिर बनाते थे।
भारत की तरह इटली में भी गणतंत्र लागू होने से पहले छोटे-छोटे राज्य थे तथा दोनों ही देशों में राज्यों के एकीकरण के लिए जनता को अत्यधिक समय, श्रम एवं ऊर्जा व्यय करनी पड़ी एवं दीर्घकालीन आंदोलन चलाने पड़े।
जिस तरह भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है तथा उसमें केसरिया, सफेद एवं हरे रंग की पट्टियां प्रयुक्त होती हैं, उसी प्रकार इटली का ध्वज भी तिरंगा हैं तथा उसमें हरे, सफेद एवं लाल रंगों की पट्टियां प्रयुक्त होती हैं किंतु भारत के तिरंगे में रंगीन पट्टियां आड़ी हैं जबकि इटली के ध्वज की रंगीन पट्टियां खड़ी हैं।
भारत के झण्डे का केसरिया रंग शौर्य का प्रतीक है तो इटली के झण्डे का लाल रंग गणतंत्र लिए हुए रक्त-रंजित संघर्ष का प्रतीक है। भारत के झण्डे में सफेद रंग शांति का प्रतीक है तथा इटली के झण्डे का सफेद रंग बर्फ से ढके हुए आल्प्स पर्वतों का प्रतीक है। भारत के झण्डे का हरा रंग हरियाली एवं समृद्धि का प्रतीक है तो इटली के झण्डे का हरा रंग हरियाली से ढकी पहाड़ियों का प्रतीक है।
भारत एवं इटली में अंतर
इतनी सारी समानताओं के होते हुए भी भारत एवं इटली में बहुत से अंतर भी हैं। क्षेत्रफल के मामले में भारत इटली से 11 गुना बड़ा तथा जनंसख्या के मामले में भारत इटली से 22 गुना बड़ा है। क्षेत्रफल तथा जनसंख्या दोनों में ही इटली भारत के कई प्रांतों से भी छोटा है। भारत एक धर्म-निरपेक्ष देश है जबकि इटली का राष्ट्रीय धर्म ‘ईसाई’ है।
भारत में लगभग 80 प्रतिशत लोग हिन्दू धर्म को मानते हैं जबकि इटली के 84 प्रतिशत लोग कैथोलिक ईसाई धर्म को मानते हैं। भारतीय संस्कृति में परोपकार को धन से ऊपर माना जाता है, जबकि इटली की संस्कृति में धन ही सर्वोपरि है। भारत में सार्वजनिक प्याऊ, सार्वजनिक पेशाबघर, सार्वजनिक शौचालय, धर्मशाला, विश्रामगृह, सदाव्रत, लागत मूल्य के भोजनालय आदि उपक्रम सरकार तथा जनता दोनों की तरफ से बनाए एवं चलाए जाते हैं जबकि इटली में इस तरह की निःशुल्क व्यवस्थाएं न तो सरकार की तरफ से की जाती हैं और न ही समाज की तरफ से।
इटली की विशेषताएं
भारत के मुकाबले बहुत छोटा देश होते हुए भी इटली का जनसंख्या घनत्व 201 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है जबकि भारत का जनसंख्या घनत्व 416 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। इस कारण इटली बहुत साफ-सुथरा, शांत एवं खाली-खाली सा लगता है जबकि भारत के शहर एवं गांव दोनों में ही गंदगी का साम्राज्य है।
भारत के बाजारों, गलियों एवं सड़कों पर भीड़-भाड़ एवं शोर-शराबा अपने चरम पर हैं। इटली के लोग वृद्धों एवं बच्चों के लिए मुस्करा कर मार्ग छोड़ते हैं तथा किसी अकेले जा रहे वृद्ध का हाथ पकड़कर उन्हें सड़क के दूसरी तरफ छोड़ देते हैं जबकि भारत में ज्यादातर लोग सड़क पर एक दूसरे को धकियाते हुए से चलते हैं।
इटली की सड़क पर चलने का पहला अधिकार पैदल यात्री का है जिसे देखकर चलती हुई कारें रुक जाती हैं जबकि भारत की सड़कों पर तेज गति के वाहनों को पहले निकलने का स्वयंसिद्ध अधिकार है। अन्यथा वे टक्कर मारने में जरा भी देर नहीं लगाते।
इटली का राष्ट्र के रूप में उदय
इटली, यूनान के बाद यूरोप की दूसरी प्राचीनतम सभ्यता है। रोम की सभ्यता तथा इतिहास इस देश के प्राचीन वैभव तथा विकास के प्रतीक हैं। आधुनिक इटली ई.1861 में एक देश के रूप में गठित हुआ। देश की धीमी प्रगति, शिथिल सामाजिक संगठन तथा राजनितिक उथल-पुथल इटली के 2,500 वर्ष के इतिहास का बड़ा हिस्सा हैं।
इटली के अधिकांश भू-भाग प्राचीन एवं मध्यकाल में अस्तित्व में आने वाले महान् रोमन साम्राज्य, प्राचीन रोमन साम्राज्य, पवित्र रोमन साम्राज्य एवं पूर्वी रोमन साम्राज्य के अंतर्गत रहे। कुछ छोटे-छोटे राज्य भी थे जिन पर जर्मन एवं फ्रैंच कबीलों के मुखियाओं का शासन रहा।
ई.1861 में लगभग सम्पूर्ण इटली एकीकृत होकर पीडमॉंट के राजा इमेनुएल के अधीन हो गया तथा ई.1946 में इटली से राजतंत्र की विदाई हो गई। इटली के एक छोटे से भू-भाग पर शासन करने वाला अंतिम राजवंश ‘सेवाय’ था।
ईसा के आसपास और उसके बाद एक के बाद एक करके अवतरित होने वाले रोमन साम्राज्यों ने भूमध्य सागर के क्षेत्र में अपनी प्रभुता स्थापित की जिसके कारण रोम ने भूमध्यसागरीय देशों एवं प्राचीन यूरोपीय देशों में सभ्यता-संस्कृति, शासन प्रणाली एवं विधिक प्रणालियों की आधारशिला रखी। इटली की संस्कृति पर प्राचीन यूनानी संस्कृति का बड़ा प्रभाव है।