इण्डोनेशिया के मंदिर आकार में विशाल हैं, विषय-वस्तु में विविधता लिए हुए हैं तथा हिन्दू पौराणिक कथाओं पर आधारित हैं किंतु उनमें सजावट का अंश न के बराबर है।
इण्डोनेशिया के मंदिर धार्मिक मान्यताओं के आधार पर दो भागों में विभक्त किए जा सकते हैं। पहले भाग में वे हिन्दू मंदिर आते हैं जो बड़ी संख्या में बने हुए हैं तथा इण्डोनेशिया के जिन द्वीपों पर मानव बस्तियां अस्तित्व में हैं, उन सभी द्वीपों में हिन्दू मंदिर स्थित हैं। दूसरे भाग में वे मंदिर हैं जो बौद्ध मत को मानते हैं। इनकी संख्या कम है तथा ये बहुत कम द्वीपों में देखने को मिलते हैं। इण्डोनेशिया के अनेक द्वीपों पर प्राचीन हिन्दू देवालय, बौद्ध चैत्य तथा विहार बने हुए थे जिनमें से अधिकतर मंदिर एवं चैत्य मुस्लिम आक्रांताओं की भेंट चढ़ गए। जब सुहार्तो की सरकार ने विश्व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इण्डोनेशिया को नए सिरे से तैयार करने का काम आरम्भ किया तब से अब तक कई मंदिर एवं चैत्य खण्डहरों के नीचे से खोज निकाले गए हैं। इंडोनेशिया के मंदिरों पर सर्वाधिक प्रभाव राम कथा का देखने को मिलता है। परमबनन शिव मंदिर में लगी प्रस्तर शिलाओं पर रामायण के बहुत से दृश्य अंकित हैं। इस मंदिर में कृष्णलीला के प्रसंग भी बड़ी संख्या में उत्कीर्ण हैं।
जावा द्वीप के मंदिर
जावा में हिन्दू धर्म के प्रभाव को आसानी से समझा जा सकता हैं। जावा द्वीप पर 15 बड़े हिन्दू मंदिर खोजे गए हैं जिनमें परमबनन शिव मंदिर और बोरोबुदुर बौद्ध विहार मुख्य हैं।
दूसरे प्रमुख मंदिरों में ई.750 में बना देंग मंदिर, 9वीं शताब्दी का प्लाओसान मंदिर, 15वीं सदी में बना सथो मंदिर, सिंघसरी साम्राज्य के काल में ई.1248 में बना किदाल मंदिर, जन्म से पहले जीवन को दर्शाता 15वीं सदी मे बना सुख मंदिर और मजापहित साम्राज्य के समय में 12वीं तथा 15वीं सदी के दौरान बना ”पनतरन मंदिर” सम्मिलित हैं। इन मंदिरों को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर की सांस्कृतिक श्रेणी में सम्मिलित किया गया है।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता