ब्रिज के खिलाड़ी सरदार पटेल – श्रीमती वाडिया के कहने पर पटेल ने उनके पति को खेल की शर्त से मुक्त कर दिया!
जिन दिनों भारत पर अंग्रेजों का शासन था, उन दिनों उच्चवर्गीय अंग्रेज अधिकारियों, जजों, वकीलों एवं व्यापारियों में ब्रिज खेलना हैसियत एवं शान का प्रतीक माना जाता था। अंग्रेज समझते थे कि इस खेल में बुद्धि लगती है। इसलिए हिन्दुस्तानी अंग्रेजों जैसा अच्छा ब्रिज नहीं खेल सकते किंतु सरदार पटेल ने लंदन में रहकर बैरिस्ट्री की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसी दौरान उन्होंने ब्रिज खेलना सीखा था। यही कारण था कि सदार पटेल उच्च स्तर के ब्रिज के खिलाड़ी थे।
भारत लौटने के बाद भी वल्लभभाई को ब्रिज खेलने का शौक बना रहा। दिन पर दिन इस खेल में उनकी दक्षता बढ़ती चली गई। उन दिनों अहमदाबाद में वकीलों का एक क्लब हुआ करता था जिसमें सरदार पटेल ब्रिज खेलने जाया करते थे। क्लब के एक अन्य सदस्य मिस्टर वाडिया को अपने ब्रिज खेलने पर बड़ा घमण्ड था। मिस्टर वाडिया पारसी समुदाय के वकील थे। एक बार उन्होंने वल्लभभाई को ब्रिज खेलने की चुनौती दी। मिस्टर वाडिया को सबक सिखाने के लिये वल्लभभाई ने कहा कि मुझे पैनी-पैनी का खेल पसंद नहीं।
100 पॉइंट के लिये पांच पाउण्ड की शर्त हो तो चुनौती स्वीकार है। पांच पाउण्ड उन दिनों बड़ी राशि थी। वाडिया ने यह शर्त स्वीकार कर ली और दोनों के बीच ब्रिज का खेल आरम्भ हुआ। वाडिया ने पहले दिन 20 पाउण्ड तथा दूसरे दिन 30 पाउण्ड हारे।
जब तीसरे दिन का खेल चल रहा था तब वाडिया की पत्नी क्लब में आईं और उन्होंने वल्लभभाई से अनुरोध किया कि वे खेल को बंद कर दें। वल्लभभाई ने हंसकर उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और खेल बंद हो गया। वल्लभभाई ने वाडिया को खेल की शर्त से भी मुक्त कर दिया।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता