Wednesday, April 16, 2025
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Home मध्यकालीन भारत चिश्तिया सूफी सम्प्रदाय एवं ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती

चिश्तिया सूफी सम्प्रदाय एवं ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती

इस पुस्तक में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के जीवन की संक्षिप्त जानकारी के साथ-साथ उनकी शिक्षाओं का उल्लेख किया गया है। उस युग के इतिहास, दर्शन तथा समाजशास्त्र को इस पुस्तक में पर्याप्त स्थान दिया गया है। Chishtiya Sufi Community and Khwaja Moinuddin Chishti

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अत्यंत प्राचीन काल से ही भारत में एक से बढ़कर एक वीर राजकुल हुए जिन्होंने हिन्दू जाति को हजारों साल तक स्वतंत्र बनाए रखा...
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अकबर और महाराणा प्रताप एक-दूसरे के प्राण लेना चाहते थे (118)

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अकबर तथा महाराणा प्रताप के बीच आदि से अंत तक जो भी घटनाएं हुईं उनसे यह सिद्ध होता है कि न तो अकबर महाराणा प्रताप से संधि चाहता था और न महाराणा प्रताप किसी भी कीमत पर अकबर से संधि करना चाहता था।
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महाराणा प्रताप की सेना के हरावल का नेतृत्व हकीम खाँ सूर के हाथ में था। उसकी सहायता के लिये सलूम्बर का चूण्डावत किशनदास, सरदारगढ़ का डोडिया भीमसिंह, देवगढ़ का रावत सांगा तथा बदनोर का रामदास नियुक्त किये गये।
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मानसिंह की दुविधा (120)

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मुगलों द्वारा रामप्रसाद के महाबत को भी मार डाला गया। जैसे ही महाबत धरती पर गिरा, मुगल सेना के हाथियों का फौजदार हुसैन खाँ अपने हाथी से रामप्रसाद पर कूद गया।
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