जीवों के क्लोन में जीवात्मा कहां से आता है ? जब किसी जीव का क्लोन तैयार किया जाता है तो क्या उसमें निवास करने वाली जीवात्मा का भी क्लोन तैयार हो जाता है जो क्लोन से तैयार किए गए प्राणी में रहता है? या फिर क्लोन से तैयार किए गए शरीर के लिए ब्रह्माण्ड से नया जीवात्मा भेजा जाता है?
विज्ञान तेजी से क्लोनिंग, जीन कल्चर और ह्यूमन ग्राफ्टिंग की तरफ बढ़ रहा है। क्लोनिंग का अर्थ है ठीक एक जैसे दो शरीर तैयार करना। जीन कल्चर का अर्थ है किसी मृत व्यक्ति के शव के किसी हिस्से में सुरक्षित रखे हुए डीएनए से मृतक व्यक्ति के गुणों वाला व्यक्ति तैयार कर देना तथा ह्यूमन ग्राफ्टिंग का अर्थ है किसी जीवित व्यक्ति के शरीर के जीन लेकर उनसे ठीक वैसे ही एक और व्यक्ति तैयार कर देना जैसे कि पेड़ पौधों में किया जाता है।
भेड़ों, कुत्तों तथा चूहों आदि जीवों के क्लोन तैयार कर लिये गये हैं कुछ वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने अज्ञात स्थानों पर आदमी के क्लोन तैयार कर लिये हैं तथा वे जीवित भी हैं। चीन के एक वैज्ञानिक को ह्यूमन जीन ग्राफ्टिंग के लिए फांसी पर भी चढ़ाया जा चुका है।
यदि ये तथ्य सही हैं तो जीवात्मा के देह में आने और निरंतर देह बदलते रहने के सिद्धांत पर बड़ा प्रश्न चिह्न लग जायेगा। हमें हजारों वर्षों से चली आ रही इन मान्याताओं को नये सिरे से व्याख्यायित करना होगा। क्योंकि जीन विज्ञान की प्रगति का सिलसिला कहीं रुकने वाला नहीं। यदि ह्यूमन क्लोनिंग सफल हो गयी तो एक दिन वैज्ञानिक जो क्लोन तैयार करेंगे उसमें से वे मृत्यु के जीन निकाल फेंकेंगे। यदि ऐसा हुआ तो मनुष्य को धरती पर रहने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं बचेगा और मानव को किसी अन्य ग्रह पर जाकर निवास करना पड़ेगा।
क्लोन में जीवात्मा की अभी तक कोई व्याख्या प्रस्तुत नहीं की गई है, न विज्ञान की तरफ से और न अध्यात्म की तरफ से!
-मोहनलाल गुप्ता,
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