इस अनुभाग में हम हिन्दू संत परम्परा से सम्बन्धित आलेख प्रस्तुत कर रहे हें। यह परम्परा हजारों साल पुरानी है। साधु-संतों, संन्यासियों, तपस्वियों ने सनातन धर्म को दार्शनिक आधार तो प्रदान किया ही है। साथ ही स्वयं समाज के बीच उतरकर हिन्दू समाज का अध्यात्मिक नेतृत्व किया है। भारत की सन्त परम्परा इतनी विराट है कि उसका सम्पूर्ण विवरण प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
इस परम्परा में वेदों के मंत्रदृष्टा ऋषियों से लेकर, आलवार संतों जैसे भक्त, तुलसी, सूर, मीरा जैसे कवि, कबीर जैसे दार्शनिक क्रांतिकारी तक मौजूद हैं। शंकाराचार्य, रामानुजाचार्य, मध्वाचार्य, निम्बार्काचार्य आदि दार्शनिक विवेचक भी संत परम्परा के अभिन्न अंग हैं। वस्तुतः उन्हें हिन्दू संत परम्परा का ध्वजवाहक का जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
पीपा, दादू और रैदास जैसे भक्त भी इस परम्परा को समृद्ध करते हैं।