Thursday, November 21, 2024
spot_img

84. हुमायूँ के अमीरों ने हुमायूँ को युद्ध-क्षेत्र में मारने का षड़यंत्र रचा!

 जब हुमायूँ बल्ख में उज्बेगों से परास्त होकर काबुल भाग गया और मिर्जा सुलेमान तथा मिर्जा इब्राहीम टालिकान छोड़कर बदख्शां की घाटी में भाग गए तो मिर्जा कामरान ने मिर्जा हिंदाल को पत्र लिखकर अपनी तरफ मिलाना चाहा किंतु हिंदाल ने बादशाह हुमायूँ का साथ छोड़ना और कामरान का साथ करना स्वीकार नहीं किया। इस पर कामरान ने कुंदूज को घेर लिया तथा उज्बेगों को भी अपनी सहायता के लिए बुला लिया।

मिर्जा हिंदाल इन दोनों सेनाओं का सामना नहीं कर सकता था। इसलिए उसने कामरान तथा उज्बेगों में फूट डालने के लिए एक गहरी साजिश रची। मिर्जा हिंदाल ने कामरान की तरफ से स्वयं को एक पत्र लिखा जिसमें कहा गया था कि मैंने पहले से तय योजना के अनुसार उज्बेगों को कुंदूज बुला लिया है। आज की रात मेरी सेना ने उज्बेगों पर हमला करने की तैयारी कर ली है। अतः तुम भी आज रात उज्बेगों पर आक्रमण करना। उम्मीद है कि हम जल्दी ही बादशाह को उज्बेगों के विनाश की खबर सुनाएंगे।

हिंदाल ने यह पत्र उज्बेगों के शिविर के बाहर डलवा दिया। जब यह पत्र उज्बेगों के सेनापति के हाथ लगा तो उज्बेग कुंदूज से घेरा उठाकर भाग गए और कामरान अपनी सेना के साथ अकेला रह गया। उसी समय कामरान को समाचार मिला कि उसके वजीर चाकर बेग ने कामरान की राजधानी कुलाब को घेर लिया है तथा मिर्जा अस्करी भयभीत होकर दुर्ग के भीतर छिपा हुआ है। यह समाचार पाकर कामरान भी कुंदूज का घेरा उठाकर कुलाब के लिए रवाना हो गया।

उधर जब मिर्जा सुलेमान को ज्ञात हुआ कि मिर्जा कामरान के वजीर चाकर बेग ने कामरान की राजधानी को घेर लिया है तो सुलेमान जफर दुर्ग पर चढ़ बैठा जिसे किलान्जफर कहते थे और जो कुछ समय पहले ही कामरान ने सुलेमान से छीना था। कामरान ने एक सेना किलान्जफर के लिए रवाना की तथा स्वयं कुलाब के लिए रवाना हुआ।

कामरान ने चाकर बेग की सेना को मार भगाया तथा कुलाब का दुर्ग फिर से अपने अधिकार में ले लिया। इसके बाद मिर्जा कामरान मिर्जा अस्करी को अपने साथ लेकर किलान्जफर के लिए रवाना हुआ ताकि मिर्जा सुलेमान का दमन किया जा सके।

TO PURCHASE THIS BOOK, PLEASE CLICK THIS PHOTO

जब उज्बेगों को ज्ञात हुआ कि मिर्जा कामरान बहुत थोड़ी सी सेना के साथ किलान्जफर जा रहा है तो मार्ग में रुस्ताक नामक स्थान पर उज्बेगों ने कामरान तथा अस्करी को घेर लिया। कामरान तथा अस्करी भागकर कर टालिकान के दुर्ग में चले गए।

उधर जब मिर्जा सुलेमान और मिर्जा हिंदाल ने देखा कि मिर्जा कामरान की हालत पतली है तो उन दोनों ने मिलकर मिर्जा कामरान तथा मिर्जा अस्करी पर हमला बोल दिया। कामरान तथा अस्करी भागकर बदख्शां चले गए। जब हिंदाल तथा सुलेमान ने कामरान तथा अस्करी को वहाँ भी नहीं छोड़ा तो कामरान तथा अस्करी भागकर खोस्त चले गए। जब मिर्जा हिंदाल तथा मिर्जा सुलेमान खोस्त की तरफ बढ़ने लगे तो मिर्जा कामरान तथा मिर्जा अस्करी ने हजारा भाग जाने का कार्यक्रम बनाया जो हिंदुकुश पर्वत की तलहटी में हिंदुस्तान की तरफ था। उन दोनों ने हजारा जाने से पहले एक बार फिर से हुमायूँ की भावुकता का लाभ उठाने की योजना बनाई जिसे अन्य मुगल शहजादे एवं अमीर हुमायूँ की बेवकूफी कहते थे।

मिर्जा कामरान तथा मिर्जा अस्करी ने हुमायूँ को पत्र लिखकर उससे क्षमा याचना की तथा उसके दरबार में उपस्थित होने की अनुमति मांगी। इन दोनों भाइयों को विश्वास था कि हुमायूँ न केवल एक बार फिर मिर्जा कामरान तथा मिर्जा अस्करी को माफ कर देगा अपितु उनके खोए हुए राज्य भी लौटा देगा। उनकी आशा के अनुरूप हुमायूँ ने ऐसा ही किया।

इस पर मिर्जा कामरान तथा मिर्जा अस्करी ने हजारा जाने की बजाय काबुल की तरफ बढ़ना आरम्भ किया। इस बीच बादशाह के वजीर, दीवान एवं अन्य अमीरों ने बादशाह से कहा कि सरलता की भी एक सीमा होनी चाहिए। बादशाह के लिए उचित यह है कि वह मिर्जा कामरान तथा मिर्जा अस्करी को बंदी बना ले!

इस बार हुमायूँ ने अपने अमीरों की सलाह मान ली तथा जून 1550 में एक सेना के साथ मिर्जा कामरान तथा मिर्जा अस्करी की तरफ बढ़ना आरम्भ किया। हुमायूँ ने अकबर को काबुल में ही छोड़ दिया। जब मिर्जा कामरान तथा मिर्जा अस्करी ने सुना कि बादशाह एक सेना लेकर उनकी ही तरफ बढ़ रहा है तो उन दोनों के होश उड़ गए।

उन्होंने काबुल की तरफ बढ़ने की बजाय वहीं से हजारा भाग जाने की योजना बनाई किंतु उसी समय कराचः खां, मुसाहिब बेग तथा कुछ अन्य अमीरों ने मिर्जा कामरान को पत्र लिखकर सूचित किया कि वह बादशाह को चकमा देकर किसी तरह काबुल आ जाए, हम काबुल पर कामरान का अधिकार करवा देंगे।

यह पत्र पाकर कामरान तथा अस्करी की बांछें खिल गईं। वे बादशाह को चकमा देकर खिसक लिए। इधर जब बादशाह हुमायूँ किबचाक पहुंचा तो गद्दार कराचः खाँ के पक्ष के अमीरों ने बादशाह हुमायूँ को मिर्जा कामरान तथा मिर्जा अस्करी के बारे में गलत सूचनाएं देनी आरम्भ कीं। उन्होंने बादशाह को बताया कि मिर्जा कामरान तथा मिर्जा अस्करी भाग गए हैं। किसी ने कहा कि वे लोग जुहाक की तरफ गए हैं, तो किसी ने बताया कि वे लोग बामियान की तरफ गए हैं। इस प्रकार बादशाह को अलग-अलग स्थान बताए गए। बादशाह ने उन सभी स्थानों के लिए थोड़े-थोड़े सैनिक भिजवा दिए ताकि मिर्जा कामरान तथा मिर्जा अस्करी को ढूंढा जा सके।

हुमायूँ के गद्दार अमीर यही चाहते थे कि हुमायूँ की सेना तितर-बितर हो जाए और वे हुमायूँ को जीवित ही पकड़कर कामरान के हवाले कर दें किंतु एक किसान ने हुमायूँ को बता दिया कि मिर्जा कामरान तथा मिर्जा अस्करी अपनी सेना लेकर किबचाक की ओर आ रहे हैं। इस पर हुमायूँ के कान खड़े हुए किंतु तब तक देर हो चुकी थी। उसकी बहुत सी सेना विभिन्न दिशाओं में जा चुकी थी। फिर भी हुमायूँ ने बचे-खुचे सैनिकों को साथ लेकर मिर्जा कामरान तथा मिर्जा अस्करी का सामना करने की तैयारी की।

हुमायूँ ने एक ऊंचे स्थान पर खड़े होकर अपने तथा कामरान के पक्ष के सैनिकों की संख्या का अनुमान किया। हुमायूँ ने देखा कि उसके अमीर, शत्रु से लड़ने के लिए तत्परता दिखाने की बजाय धीमी गति से तैयार हो रहे हैं। यह देखकर हुमायूँ को अनुमान हो गया कि वह चारों ओर गद्दारों से घिरा हुआ है। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी तथा स्वयं हाथ में तलवार लेकर कामरान की सेना पर टूट पड़ा।

हुमायूँ के विश्वसनीय सैनिकों ने भी हुमायूँ का अनुकरण किया किंतु बहुत से गद्दार अमीर युद्ध के मैदान में ही हुमायूँ को पकड़ने अथवा मारने का प्रयास करने लगे ताकि कामरान से ईनाम पाया जा सके। इस कारण हुमायूँ के प्राण संकट में पड़ गए। हुमायूँ को दुश्मनों की आवश्यकता नहीं थी, उसके अपने भाई, अमीर (मंत्री) और बेग (सेनापति) मिलकर उसे मारने का प्रयास कर रहे थे।

वह युग ऐसा ही था। उस युग में गद्दारों की संख्या ईमानदारों की संख्या की अपेक्षा बहुत अधिक थी। बादशाह हुमायूँ अपने सभी सैनिकों, अमीरों, वजीरों, भाइयों पर कृपा दिखाता था किंतु फिर भी गद्दार लोगों की फितरत ऐसी ही हुआ करती है कि वे मौका मिलते ही अपने दयालु एवं स्नेही आश्रयदाता से भी घात करने से नहीं चूकते हैं। वास्तविकता तो यह है कि उस युग को दोष देना व्यर्थ है, हर युग का इतिहास कृतघ्नों की कृतघ्नताओं से भरा पड़ा है। आज भी वह सिलसिला जारी है।  

– डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

2 COMMENTS

  1. Today, while I was at work, my cousin stole my iPad and tested
    to see if it can survive a thirty foot drop, just so she can be
    a youtube sensation. My apple ipad is now destroyed and she has 83 views.
    I know this is completely off topic but I had to share it
    with someone!!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source