Tuesday, March 11, 2025
spot_img

38. काबुल या दिल्ली

उन दिनों उत्तरी भारत के समस्त बादशाह और सेनापति हेमू के नाम से थर्राते थे। इब्राहीम सूर के सैनिकों को यदि स्वप्न में भी हेमू के सिपाही दिख जाते तो वे शैय्या त्याग कर खड़े हो जाते। बंगाल का शासक मुहम्मदशाह तो उस दिशा में पैर करके भी नहीं सोता था जिस दिशा में हेमू की सेना के स्थित होने के समाचार होते थे। आगरा का सूबेदार इस्कन्दरखा उजबेग, दिल्ली का सूबेदार तार्दीबेगखाँ और संभल का सूबेदार अलीकुलीखाँ हेमू की सेना का नाम सुनकर ही भाग छूटे थे। उस समय समूचे उत्तरी भारत में केवल बैरामखाँ अकेला ही सेनापति था जो हेमू से दो-दो हाथ करने की तमन्ना दिल में लिये घूमता था। वह जानता था कि एक न एक दिन बैरामखाँ और हेमू एक दूसरे के सामने होंगे। वह अवसर शीघ्र ही आ उपस्थित हुआ।

जैसे ही बैरामखाँ जालंधर में सलीमा बेगम से निकाह करने के बाद मानकोट को हस्तगत करने के लिये फिरा वैसे ही उसे आगरा और दिल्ली के पतन का समाचार मिला। अकबर के अमीरों ने अकबर को सलाह दी कि हिन्दुस्थान की ओर से ध्यान हटाकर अपनी सारी ताकत काबुल पर केंद्रित कर लेनी चाहिये क्योंकि इस समय मुगल सेना में केवल बीस हजार सैनिक हैं और हेमू एक लाख सैनिकों की ताकत का स्वामी है। उसके पास इस समय धरती भर की सबसे बड़ी हस्ति सेना है और धरती भर का सबसे बड़ा तोपखाना है। अकबर अपने अमीरों की सलाह से सहमत हो गया और उसने आदेश दिया कि सेना को दिल्ली की ओर बढ़ाने के बजाय काबुल की ओर कूच किया जाये।

बैरामखाँ इस आदेश को सुनकर सकते में आ गया। वह नहीं चाहता था कि जिस दिल्ली और आगरा के लिये उसने अपने जीवन की बाजी लगा दी थी, जिस दिल्ली और आगरा के लिये वह हुमायूँ के साथ हिन्दुस्थान से लेकर ईरान और ईरान से लेकर हिन्दुस्थान में दर दर की ठोकरें खाता फिरा था, जिस दिल्ली और आगरा के लिये उसने सिकंदर लोदी, राणा सांगा और मेदिनी राय जैसे प्रबल शत्रुओं को धूल चटा दी थी, जिस दिल्ली और आगरा के लिये उसने बाबर के तीन-तीन शहजादों को कैद करके मक्का भिजावा दिया था, उस दिल्ली और आगरा का मार्ग छोड़कर वह बिना युद्ध किये ही भाग खड़ा हो।

बैरामखाँ अकबर के आदेश से सहमत नहीं हुआ। उसने अकबर को समझाया कि भले ही हमारे पास बीस हजार सैनिक हैं और शत्रु के पास एक लाख सैनिक बताये जा रहे हैं किंतु बाबर और हुमायूँ भी तो इन्हीं परिस्थितियों में लड़ते और जीतते आये थे। भले ही हेमू के पास एक लाख सैनिक और तीस हजार हाथी हैं किंतु हेमू की असली ताकत उसके तोपखाने में बसती है। यदि किसी तरह उससे तोपखाना छीन लिया जाये तो उसे आसानी से परास्त किया जा सकता है। अकबर को अपने संरक्षक की बातें अमीरों की बातों से ज्यादा अच्छी लगीं और वह काबुल लौट चलने के बजाय दिल्ली की ओर बढ़ने के लिये राजी हो गया।

Related Articles

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source