Thursday, November 21, 2024
spot_img

18. महमूद ने सोमनाथ के मंदिर में वही बुत देखे जो इस्लाम के उदय से पहले अरब में पूजे जाते थे!

सोमनाथ का शिवालय सौराष्ट्र के प्रभासपत्तन क्षेत्र में सागर तट पर स्थित था जिसे अत्यंत प्राचीन काल में कुशस्थली भी कहा जाता था। इस महालय की स्थापना ईसा मसीह के जन्म से कई सौ साल पहले हुई थी। स्कंद पुराण में लिखा है कि वैदिक सरस्वती जिस स्थान पर सागर में आकर मिलती है, उसी स्थान पर सोमेश्वर का प्राचीन मंदिर स्थित है। यही सोमेश्वर, सोमनाथ के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है तथा इन्हें ‘सोम’ अर्थात् ‘अमृत का देवता’ माना जाता है। 

11वीं सदी के पारसी भूगोलवेत्ता अकारिया अल किजवानी ने सोमनाथ महालय का रोचक वर्णन किया है। उसने लिखा है- ‘सोमनाथ भारत के समुद्र के किनारे एक शानदार शहर में स्थित है। समुद्र का जल नित्य ही ज्वारभाटे के रूप में पूर्वमुखी सोमनाथ मंदिर की मूर्ति का अभिषेक करता है। इसका आश्चर्य मंदिर की एक प्रतिमा है जो मंदिर के गर्भगृह में बिना किसी आधार के अधर में स्थित है। चन्द्रग्रहण और शिवरात्रि के अवसर पर हजारों हिन्दू इस शिवालय में पूजा करने आते हैं। मान्यता है कि मरणोपरांत हिन्दुओं की आत्मा सोमनाथ में आती है। भगवान सोमनाथ उन आत्माओं को अगले शरीर में प्रवेश कराते हैं …… मूल्यवान से मूल्यवान वस्तुएं भगवान के समर्पण के लिये लायी जाती हैं। मंदिर खर्च के लिये 10 हजार गांवों से कर लिया जाता है। भगवान सोमेश्वर का हजारों मील दूर स्थित गंगा नदी के जल से प्रतिदिन अभिषेक किया जाता है। मंदिर की अर्चना हेतु एक हजार ब्राह्मण नियुक्त हैं। पांच हजार दासियां मंदिर के द्वार पर नृत्य एवं गायन करती हैं। मंदिर का ढांचा सागवान की लकड़ी के 56 खंभों पर टिका है, जो सीसे की पर्त से ढके हुए हैं। भगवान सोमनाथ की मूर्ति काले रंग की है, जो मूल्यवान आभूषणों से सुसज्जित है। मंदिर के निकट 100 मन भारी एक सोने की जंजीर है जो प्रातःकाल में मंदिर के घंटे बजाती है जिसे सुनकर मंदिर के ब्राह्मण पूजन के लिये उठते हैं।’

अंग्रेज लेखक इलियट ने किजवानी के कथन को उद्धृत किया है।

इस रोचक इतिहास का वीडियो देखें-

12वीं सदी के जैन लेखक हेमचंद्र के अनुसार सोमनाथ की लूट के समय सौराष्ट्र का राजा भीमदेव चौलुक्य था जो चामुण्डराज के सबसे छोटे बेटे नागराज का पुत्र था। गुजरात के इतिहास में उसे भीम (प्रथम) भी कहा जाता है। दिसम्बर 1025 के मध्य में महमूद चौलुक्यों की राजधानी अन्हिलपाटन पहुंचा। अन्हिलपाटन में कोई किलेबंदी या सैन्य तैयारी नही थी। कुछ स्रोतों का कहना है कि राजा भीमदेव महमूद के इस अचानक हमले से भयभीत होकर राजधानी छोड़कर भाग गया और उसने कंठकोट द्वीप में शरण ली। वस्तुतः यह कहना गलत है कि राजा भीमदेव भयभीत हो गया था। वह तो अन्हिलवाड़ा छोड़कर कंठकोट इसलिए गया था क्योंकि अन्हिलवाड़ा में गजनवी का सामना करना संभव नहीं था जबकि कंठकोट का दुर्ग युद्ध एवं सुरक्षा दोनों ही दृष्टि से अधिक उपयुक्त था।

To purchase this book, please click on photo.

अन्हिलवाड़ा के नागरिक भी राजा के साथ ही नगर खाली करके चले गए थे। अतः महमूद को अन्हिलवाड़ा में किसी सैन्य-विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। वह कुछ दिन तक अन्हिलवाड़ा में रुककर सोमनाथ की ओर रवाना हुआ। मार्ग में मोधेरा के राजपूत सामंत ने 20,000 सैनिकों के साथ महमूद से लोहा लिया। वे सभी सैनिक सोमनाथ की रक्षा के निमित्त तिल-तिल कर कट मरे। मोधेरा से निबटकर महमूद गजनवी देलवाड़ा की तरफ रवाना हुआ। देलवाड़ा के निवासियों ने बिना किसी प्रतिरोघ के आत्मसमर्पण कर दिया। वहाँ से 40 मील आगे बढ़कर महमूद गजनवी सोमनाथ जा पहुंचा जहाँ हिन्दू सैनिकों ने जबरदस्त किलेबंदी कर रखी थी।

अबू सैय्यद गरदेजी नामक लेखक के अनुसार 6 जनवरी 1026 को महमूद की सेना ने सोमनाथ मंदिर पर हमला किया। राजपूतों ने डटकर सामना किया किंतु वे पराजित हो गए। हिन्दू सूत्रों के अनुसार राजा भीमदेव युद्ध में घायल होकर अचेत हो गया तथा उसके अंगरक्षक उसे युद्धक्षेत्र से बाहर ले गए। फारूखी ने लिखा है कि राजा भीमदेव चौलुक्य की सेना में एक लाख घुड़सवार, 90 हजार पैदल सेना तथा 200 हाथी थे। यह संख्या सही प्रतीत नहीं होती क्योंकि महमूद के तीस हजार सैनिक चौलुक्यों के लगभग दो लाख सैनिकों का मुकाबला नहीं कर सकत थे। अवश्य ही चौलुक्य सैनिकों की संख्या महमूद के सैनिकों से कम रही होगी।

कुछ लेखकों ने लिखा है कि महमूद ने सोमनाथ के मंदिर पर वैसे ही बुत लगे हुए देखे जो किसी समय अरब के रेगिस्तान में स्थित मंदिरों में पूजे जाते थे। हालांकि यह बात इसलिए गलत लगती है कि अरब के बुत तो सातवीं शताब्दी ईस्वी में ही भंग कर दिए गए थे। इस कारण ग्याहरवीं शताब्दी ईस्वी में महमूद गजनवी, सोमनाथ मंदिर की प्रतिमाओं की तुलना अरब के बुतों से कैसे कर सकता था! यह केवल अनुमान के आधार पर कही गई बात लगती है। 

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source