इस उपन्यास में आर्यों की वैदिक सभ्यता तथा सिंधु नदी घाटी की सैन्धव सभ्यता के बीच लगभग दस हजार वर्ष पहले हुए संघर्ष की कहानी लिखी गई है। मारवाड़ी सम्मेलन मुम्बई द्वारा वर्ष 2005 में इस उपन्यास को भारत के सर्वसेष्ठ हिन्दी उपन्यास के रूप में पुरस्तकृ किया गया था।