गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी नर्मदा नदी में एक टापू पर सरदार पटेल की 182 मीटर ऊँची तथा भव्य मूर्ति लगाई गई है जिसे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नाम दिया गया है। यह विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति है।
यह पांच वर्ष में बनकर तैयार हुई। इस पर लगभग 2500 करोड़ रुपये की लागत आई। इस मूर्ति के लिये देश के हर गांव से किसानों और मजदूरों से लोहा एकत्रित किया गया। पटेल की 137वीं जयंती के अवसर पर 31 अक्टूबर 2013 को इस स्मारक का शिलान्यास किया गया। 31 अक्टूबर 2018 को इस मूर्ति का प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अनावरण किया गया। स्मारक परिसर में एक संग्रहालय भी बनाया गया है।
इस विशाल राष्ट्रव्यापी आयोजन से देश के 140 करोड़ लोगों तक सरदार पटेल द्वारा राष्ट्र को दिये गये अवदान की जानकारी भी नये सिरे से पहुंचेगी जो देशवासियों में राष्ट्रीयता की भावना को सुदृढ़ करेगी। पटेल का व्यक्तित्व ऐसा ही था जिसका आकर्षण न केवल उस समय के ब्रिटिश शासकों, भारतीय नेताओं और देशवासियों के सिर चढ़कर बोलता था अपितु आज भी देशवासियों के दिलों की धड़कनें बढ़ा देता है। आने वाले अनेक युगों तक पटेल, देशवासियों के लिये श्रद्धा और आदर का पात्र बने रहेंगे।
वे गुजरात के एक छोटे से गांव में जन्मे और उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी साम्राज्यवादी शक्ति से लोहा लेकर देश को आजादी दिलवाने में अग्रणी भूमिका निभाई। देश की आजादी में भूमिका निभाने वाले और भी सैंकड़ों नेता थे किंतु सरदार पटेल ने स्वातंत्र्य समर में प्रखर राष्ट्रवाद का जो अनोखा तत्व घोला, वैसा तत्व बहुत कम नेता घोल पाये। यह सही समय है जब देश के नौजवानों तक सरदार पटेल की पूरी कहानी पहुँचे। कौन थे पटेल?क्या किया था उन्होंने ?क्यों वे ऐसा कुछ कर सके जो दूसरे नेता नहीं कर सके?
कैसे उन्होंने अपने युग के बड़े नेताओं की भीड़ में स्वयं को अलग पहचान दी? कैसे हाड़-मांस से बने लोहे के सरदार ने देश की 562 रियासतों को एक सूत्र में पिरोकर भारत राष्ट्र का निर्माण किया।
वे राष्ट्र के अनोखे सपूत थे, राष्ट्रहित के लिये किसी से भी टक्कर ले लेते थे और स्वहित के लिये कभी किसी से कुछ नहीं मांगते थे। उन्होंने संघर्ष, जेल और यातनाओं को अपने लिये रखा तथा स्वतंत्रता के श्रेय से लेकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक को दूसरों के लिये अर्पित कर दिया। सोने का दिल और लोहे के हाथों वाले इस अनोखे नेता की पूरी कहानी पढ़िये इस पुस्तक में।
– डॉ. मोहनलाल गुप्ता