गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में 1748 ई. से जूनागढ़ रियासत स्थित थी। इस पर मुस्लिम नवाब का शासन था। इस रियासत की 80 से 90 प्रतिशत जनता हिन्दू थी। जूनागढ़ रियासत चारों ओर से हिन्दू रियासतों से घिरी हुई थी। जूनागढ़ रियासत तथा पाकिस्तान की सीमा के बीच 240 मील की दूरी में समुद्र स्थित था। इस रियासत का अंतिम नवाब मुहम्मद महाबत खानजी (तृतीय) 11 वर्ष की आयु में रियासत का शासक बना था। उसने मेयो कॉलेज अजमेर में पढ़ाई की थी। उसे तरह-तरह के कुत्ते पालने तथा शेरों का शिकार करने का शौक था।
जब वायसराय की 25 जुलाई 1947 की दिल्ली बैठक के बाद भारत सरकार ने नवाब को इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन भिजवाया तो नवाब ने उस पर हस्ताक्षर नहीं किये तथा समाचार पत्रों में एक घोषणा पत्र प्रकाशित करवाया- ‘पिछले कुछ सप्ताहों से जूनागढ़ की सरकार के समक्ष यह सवाल रहा है कि वह हिन्दुस्तान या पाकिस्तान में शामिल होने का फैसला करे। इस मसले के समस्त पक्षों पर सरकार को अच्छी तरह गौर करना है। यह ऐसा रास्ता अख्तयार करना चाहती थी जिससे अंततः जूनागढ़ के लोगों की तरक्की और भलाई स्थायी तौर पर हो सके तथा राज्य की एकता कायम रहे, उसकी आजादी और ज्यादा से ज्यादा बातों पर इसके अधिकार बने रहें। गहरे सोच विचार और सभी पहलुओं पर जांच परख के बाद सरकार ने पकिस्तान में शामिल होने का फैसला किया है और अब उसे जाहिर कर रही है। राज्य का विश्वास है कि वफादार रियाया, जिसके दिल में राज्य की भलाई और तरक्की है, इस फैसले का स्वागत करेगी।’
जूनागढ़ की जनता ने, नवाब की कार्यवाही का जबरदस्त विरोध किया और एक स्वतन्त्र अस्थायी हुकूमत की स्थापना कर ली। भारत सरकार ने लियाकत अली से पूछा कि क्या पाकिस्तान इसे स्वीकार करेगा किंतु पाकिस्तान की ओर से कोई जवाब नहीं आया। कई हफ्ते बीत जाने के बाद पाकिस्तान सरकार ने घोषणा की कि जूनागढ़ का निर्णय मान लिया गया है तथा अब वह पाकिस्तान का हिस्सा माना जायेगा। पाकिस्तान से एक छोटी टुकड़ी जूनागढ़ भेज दी गई।
भारत सरकार की ओर से कहा गया कि नवाब के उत्पीड़न के कारण जूनागढ़ से हिन्दू शरणार्थी भाग रहे हैं। जूनागढ़ के चारों तरफ छोटी हिन्दू रियासतों का जमावड़ा था, उन्होंने भी भारत सरकार से सहायता मांगी। वे लोग चारों तरफ से घेर लिये गये थे। नवाब ने अपनी सेनाएं भेजकर इन रियासतों पर अधिकार कर लिया। जूनागढ़ रियासत के दीवान शाह नवाज भुट्टो के बुलावे पर भारत सरकार ने सेना भेजकर जूनागढ़ को चारों से घेर लिया। कुछ दिन बाद जब जूनागढ़ की सेना के पास रसद की कमी हो गई तब भारतीय सेना आगे बढ़ी। जूनागढ़ की जनता ने इस सेना का स्वागत किया। 24 अक्टूबर 1947 को नवाब अपने विशेष हवाई जहाज में बैठकर पाकिस्तान भाग गया। नवाब अपनी चार बेगमों एवं अधिक से अधिक संख्या में अपने कुत्तों को हवाई जहाज में ले जाना चाहता था किंतु एक बेगम जूनागढ़ में ही छूट गई। नवाब ने अपने साथ अपने समस्त जवाहरात भी ले गया। नवाब तथा उसका परिवार कराची में बस गये। 9 नवम्बर 1947 को भारतीय सेना ने जूनागढ़ पर अधिकार कर लिया। 20 फरवरी 1948 को भारत सरकार द्वारा जूनागढ़ में जनमत-संग्रह करवाया गया जिसमें रियासत की 2 लाख से अधिक जनसंख्या ने भाग लिया। 99 प्रतिशत जनसंख्या ने भारत में मिलने की तथा शेष लोगों ने पाकिस्तान में मिलने की इच्छा व्यक्त की। 17 नवम्बर 1959 को नवाब की मृत्यु हो गई।