Sunday, December 22, 2024
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रजिया के चरित्र तथा उसके कार्यों का मूल्यांकन

प्रथम स्त्री सुल्तान

रजिया भारत की प्रथम स्त्री सुल्तान थी। यद्यपि विदेशों में रजिया के पूर्व भी स्त्रियां तख्त पर बैठ चुकी थीं परन्तु भारत में अब तक तख्त पर बैठने का सौभाग्य तथा गौरव रजिया को ही प्राप्त हुआ। रजिया के बाद चांद बीबी दक्षिण भारत में सुल्तान बनी जो मुगलों की राज्यलिप्सा की भेंट चढ़ गई।

सुल्तानोचित गुण-सम्पन्नता

रजिया योग्य तथा प्रतिभा-सम्पन्न स्त्री थी। अपने पिता के जीवन काल में ही वह अपनी योग्यता का परिचय दे चुकी थी। इसी से उसके पिता ने अपने पुत्रों की उपेक्षा करके उसी को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था। रजिया में सुल्तानोचित गुण विद्यमान थे। अनुकूल परिस्थितियों में वह सफल शासक सिद्ध हुई होती, परन्तु तत्कालीन वातावरण उसके विपरीत था। जिन संकटों और षड़यंत्रों में वह तख्त पर बैठी थी, उनमें किसी भी शासक का नष्ट हो जाना संभव था। रजिया ने धैर्य तथा साहस के साथ उनका सामना किया और समस्त विपक्षियों पर विजय प्राप्त करके अपने पिता के साम्राज्य को सुरक्षित रखा।

उच्च-कोटि की सैनिक योग्यता

रजिया में उच्च कोटि की सैनिक योग्यता तथा संगठन की अद्भुत क्षमता थी। इसी से वह रण क्षेत्र में अपने विपक्षियों के विरुद्ध सफलता प्राप्त कर पाती थी। अपने शासन के प्रारंभिक काल में वह समस्त विद्रोहियों का दमन करने में सफल रही।

कूटनीतिज्ञ

रजिया न केवल एक कुशल राजनीतिज्ञ वरन् बहुत बड़ी कूटनीतिज्ञ भी थी। जहाँ शक्ति तथा बल से कार्य की सिद्धि नहीं हो सकती थी, वहाँ वह कूटनीति से काम लेती थी। अपनी कूटनीति के बल पर ही वह अपने विपक्षियों के संघ को भंग कर सकी थी और उन पर विजय प्राप्त कर सकी थी। कूटनीति के बल पर ही वह अल्तूनिया के कारागार से स्वयं को मुक्त करने में सफल रही थी।

स्वेच्छाचारी तथा निरंकुश

रजिया ने सुल्तान की शक्ति को बढ़ाया तथा उसे स्वेच्छाचारी एवं निरंकुश बनाया। वह दिल्ली की प्रथम सुल्तान थी जिसने अमीरों तथा मल्लिकों को शासन की इच्छानुसार कार्य करने के लिए विवश किया। उसने तुर्की अमीरों को सुल्तान के अधीन होने का अहसास करवाया। उसने तुर्की अमीरों के वर्चस्व को तोड़ने के लिये याकूत जैसे अबीसीनियाई हब्शी को उच्च पद दिया।

रजिया की दुर्बलताएँ

कुछ इतिहासकार रजिया के पतन के लिये उसकी दुर्बलताओं को जिम्मेदार ठहराते हैं जो कि उचित नहीं है। रजिया का पतन उसकी दुर्बलताओं के कारण नहीं वरन् कट्टर मुसलमानों की असहिष्णुता के कारण हुआ था। फिर भी इतिहासकारों ने उस पर यह आरोप लगाया है कि उसमें स्त्री-सुलभ दुर्बलताएं थीं। याकूत से उसका अनुराग उत्पन्न होना तथा अल्तूनिया से विवाह कर लेना उसकी दुर्बलताओं के प्रमाण हैं। हमारे विचार में इन दोनों ही घटनाओं से रजिया की दुर्बलता प्रकट नहीं होती।

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