35 से 47 डिग्री उत्तरी अक्षांशों एवं 6 से 19 डिग्री पूर्वी देशांतरों के बीच, यूरोप महाद्वीप के दक्षिणी भाग में स्थित इटालियन प्रायद्वीप, ई.1861 से एक देश के रूप में संगठित है। इटली की मूल भाषा लैटिन तथा वर्तमान राजभाषा ‘इटेलियन’ में इस देश का मूल नाम ‘रिपब्बलिका इटेलियाना’ है। अंग्रेजी भाषा में इसे ‘इटली’ कहा जाता है। इटली के उत्तर में आल्प्स पर्वतमाला स्थित है जिसमें यूरोप के फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया तथा स्लोवेनिया नामक देशों की सीमाएँ आकर लगती हैं।
सिसली तथा सार्डीनिया, जो भूमध्य सागर के दो सबसे बड़े द्वीप हैं, इटली के ही भाग हैं। वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो इटली के अंतर्गत समाहित दो स्वतंत्र देश हैं। रोम इटली की राजधानी है। देश के अन्य प्रमुख नगरों में फ्लोरेंस, वेनिस, मीलान, पीसा, जिनोआ इत्यादि प्रमुख हैं।
इटली की मुख्य भूमि, दक्षिण और सूर्य-पारगमन की दोनों दिशाओं अर्थात् पूर्व से दक्षिण होते हुए पश्चिम दिशा तक, भूमध्य सागर द्वारा जलावृत्त है। इस प्रायद्वीप को इटालियन प्रायद्वीप कहते हैं। इटली के समस्त द्वीपों को मिलाकर इटली की तटरेखा लगभग 7,600 किलोमीटर है। उत्तर में इसकी सीमा यूरोप के फ्रांस (488 कि.मी.), ऑस्ट्रिया (430 कि.मी.), स्लोवेनिया (232 कि.मी.) तथा स्विट्ज़रलैंड नामक देशों से लगती है।
वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो नामक देश चारों तरफ़ से इटली से घिरे हुए हैं। इटली, यूरोप के दक्षिणवर्ती तीन बड़े प्रायद्वीपों में बीच का प्रायद्वीप है जो भूमध्यसागर के मध्य में स्थित है। प्रायद्वीप के पश्चिम, दक्षिण तथा पूर्व में क्रमशः तिरहेनियन, आयोनियन तथा ऐड्रियाटिक सागर हैं और उत्तर में आल्प्स पहाड़ की श्रेणियाँ फैली हुई हैं। सिसली (इटली के अधिकार में), सार्डीनिया (इटली के अधिकार में) तथा कॉर्सिका (फ्रांस के अधिकार में), ये तीन बड़े द्वीप तथा लिग्यूरियन सागर में स्थित अन्य टापुओं के समुदाय मूलतः इटली के हैं।
इटली प्रायद्वीप का आकार एक बड़े बूट (जूते) के समान है। उत्तर-पश्चिम से दक्षिण पूर्व तक चौड़ाई 80 से 150 मील तक है। सुदूर दक्षिण में चौड़ाई केवल 35 से 20 मील तक रह जाती है।
जलवायु
इटली की जलवायु मुख्यतः भूमध्यसागरीय है परन्तु इसमें बहुत अधिक बदलाव पाया जाता है। ट्यूरिन तथा मीलान जैसे शहरों की जलवायु को महाद्वीपीय या आर्द्र महाद्वीपीय जलवायु की श्रेणी में रखा जा सकता है।
प्राकृतिक दशा
इटली मुख्यतः पर्वतीय देश है जिसके उत्तर में आल्प्स पहाड़ तथा मध्य में रीढ़ की भाँति अपेनाइन पर्वत की शृंखलाएँ फैली हुई हैं। अपेनाइन पहाड़ जेलोआ तथा नीस नगरों के मध्य से प्रारंभ होकर दक्षिण-पूर्व दिशा में एड्रियाटिक समुद्र तट तक चला गया है और मध्य तथा दक्षिणी इटली में रीढ़ की भाँति दक्षिण की तरफ फैला हुआ है। वनस्पति, जलवायु तथा प्राकृतिक दृष्टि से यह प्रायद्वीप तीन भागों में बाँटा जा सकता है- (1) उत्तरी इटली, (2) मध्य इटली तथा (3) दक्षिणी इटली।
उत्तरी इटली
यह इटली का सबसे घना बसा हुआ मैदानी भाग है जो मानव जाति के उद्भव से पहले के काल में समुद्र था तथा बाद के किसी काल में नदियों द्वारा आल्प्स पर्वत से लाई हुई मिट्टी से बना। यह मैदान देश की 17 प्रतिशत भूमि घेरे हुए है जिसमें चावल, शहतूत तथा पशुओं के लिए चारा पैदा होता है। इस मैदानी भाग के उत्तर में आल्प्स पहाड़ की ढाल तथा पहाड़ियाँ हैं जिन पर चरागाह, जंगल तथा सीढ़ीनुमा खेत हैं।
पर्वतीय भाग की प्राकृतिक शोभा कुछ झीलों तथा नदियों की उपस्थिति के कारण बहुत बढ़ गई है। उत्तरी इटली का भौगोलिक वर्णन ‘पो’ नामक नदी के माध्यम से ही किया जा सकता है। पो नदी एक पहाड़ी सोते के रूप में ‘माउंट वीज़ो पर्वत’ (ऊँचाई 6,000 फुट) से निकलकर 20 मील बहने के बाद ‘सैलुजा के मैदान’ में प्रवेश करती है।
‘सोसिया’ नदी के संगम से 337 मील तक इस नदी में नौ-परिवहन होता है। समुद्र में गिरने से पहले नदी दो शाखाओं (पो डोल मेस्ट्रा तथा पो डि गोरो) में विभक्त हो जाती है। पो के मुहाने पर 20 मील चौड़ा डेल्टा है। नदी की कुल लंबाई 420 मील है तथा यह 29,000 वर्ग मील भूमि के जल की निकासी करती है।
आल्प्स पहाड़ तथा अपेनाइंस से निकलने वाली ‘पो’ की मुख्य सहायक नदियाँ क्रमानुसार टिसिनो, अद्दा, ओगलियो और मिन्सिओ तथा टेनारो, टेविया, टारो, सेचिया और पनारो हैं। टाइबर (244 मील) तथा एड्रिज (220 मील) इटली की दूसरी तथा तीसरी सबसे बड़ी नदियाँ हैं। ये प्रारंभ में सँकरी तथा पहाड़ी हैं किंतु मैदानी भाग में इनका विस्तार बढ़ जाता है और बाढ़ आती है।
सभी नदियाँ सिंचाई तथा विद्युत उत्पादन की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी हैं, किंतु यातायात के लिए अनुपयुक्त हैं। आल्प्स, अपेनाइंस तथा एड्रियाटिक सागर के मध्य में स्थित एक सँकरा समुद्रतटीय मैदान है। उत्तरी भाग में पर्वतीय ढालों पर जैतून, अंगूर तथा नारंगी बहुतायत से पैदा होती है। उपजाऊ घाटी तथा मैदानों में घनी बस्ती है। इनमें अनेक गाँव तथा शहर बसे हुए हैं। अधिक ऊँचाइयों पर घने जंगल स्थित हैं।
मध्य इटली
मध्य इटली के बीच में अपनाइंस पहाड़ उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की दिशा में एड्रियाटिक समुद्र-तट के समानांतर फैला हुआ है। अपेनाइंस का सबसे ऊँचा भाग ‘ग्रैनसासोडी इटैलिया’ (9,560 फुट) इसी भाग में है। यहाँ पर्वत श्रेणियों का जाल बिछा हुआ है, जो नवंबर से मई तक बर्फ से ढकी रहती हैं। यहाँ पर कुछ विस्तृत, बहुत सुंदर तथा उपजाऊ घाटियाँ हैं जिनमें ‘एटरनो की घाटी’ (2,380 फुट) प्रमुख है।
मध्य इटली की प्राकृतिक रचना के कारण यहाँ एक ओर अधिक ठंडा, उच्च पर्वतीय भाग है तथा दूसरी ओर गर्म तथा शीतोष्ण जलवायु वाली ढाल एवं घाटियाँ हैं। पश्चिमी ढाल एक पहाड़ी ऊबड़-खाबड़ भाग है। दक्षिण में ‘टस्कनी’ तथा ‘टाइबर’ के बीच का भाग ज्वालामुखी पहाड़ों की देन है, अतः यहाँ शंक्वाकार पहाड़ियाँ तथा झीलें हैं। इस पर्वतीय भाग तथा समुद्र के बीच में काली मिट्टी वाला एक उपजाऊ मैदान है जिसे ‘कांपान्या’ कहते हैं।
मध्य इटली के पूर्वी तट की तरफ की पर्वत-श्रेणियाँ समुद्र के बहुत निकट तक फैली हुई हैं। अतः एड्रियाटिक सागर में गिरनेवाली नदियों का महत्त्व बहुत कम है। यह विषम-भाग फल-उद्यानों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ जैतून तथा अंगूर की खेती होती है एवं बड़े शहरों तथा बड़े गाँवों का अभाव है। अधिकांश लोग छोटे-छोटे कस्बों तथा गाँवों में रहते हैं। खनिज संपत्ति के अभाव में यह भाग औद्योगिक विकास की दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। फुसिनस, ट्रेसिमेनो तथा चिडसी यहाँ की प्रसिद्ध झीलें हैं। पश्चिमी भाग की झीलें ज्वालामुखी पहाड़ों से निकलती हैं।
दक्षिणी इटली
यह संपूर्ण भाग पहाड़ी है जिसके बीच में अपेनाइंस रीढ़ की भाँति फैला हुआ है तथा दोनों ओर नीची पहाड़ियाँ हैं। इस भाग की औसत चौड़ाई 50 मील से लेकर 60 मील तक है। पश्चिमी तट पर ‘तेरा डी लेवोरो’ नामक संकरा तथा पूर्व में ‘आपूलिया’ नामक चौड़ा मैदान स्थित हैं। इन दो मैदानों के अतिरिक्त सारा भाग पहाड़ी है और अपेनाइंस की ऊँची-नीची शृंखलाओं से ढका हुआ है।
‘पोटेंजा की पहाड़ी’ दक्षिणी इटली की अंतिम सबसे ऊँची पहाड़ी ‘पोलिनो की पहाड़ी’ से मिलती है। सुदूर दक्षिण में ग्रेनाइट तथा चूने के पत्थर की, जंगलों से ढकी हुई पहाड़ियाँ तट तक चली गई हैं। एड्रियाटिक सागर में गिरनेवाली ‘लीरी’ तथा ‘गेटा’ आदि नदियाँ पश्चिमी ढाल पर बहनेवाली नदियों की तुलना में अधिक लंबी हैं। ‘ड्रिनगो’ से दक्षिण की ओर गिरने वाली विफरनो, फोरटोरे, सेरवारो, आंटो तथा ब्रैडानो नदियाँ मुख्य हैं।
दक्षिणी-इटली में पहाड़ों के बीच ‘लैगोडेल-मोटेसी’ नामक झील स्थित है। इटली के समीप सिसली, सार्डीनिया, कॉर्सिका, एल्वा, कैप्रिया, गारगोना, पायनोसा, मांटीक्रिस्टो, जिग्लिको आदि द्वीप स्थित हैं। इस्चिया, प्रोसिदा तथा पोंजा नामक द्वीप नेपल्स की खाड़ी के पास स्थित हैं, ज्वालामुखी-पहाड़ों से निकले लावा से बने हैं। एड्रियाटिक तट पर केवल ‘ड्रिमिटी द्वीप’ स्थित है।
जलवायु तथा वनस्पति
पूर्व से दक्षिण होते हुए पश्चिम तक अर्थात् तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ होने के कारण तथा उत्तर में आल्प्स पर्वत की ऊँची शृंखला से घिरा हुआ होने के कारण इटली की जलवायु यूरोपीय देशों के जलवायु से भिन्न है। उत्तरी इटली, मध्य इटली एवं दक्षिणी इटली में जलवायु का पर्याप्त अंतर है। यह यूरोप का सर्वाधिक गर्म देश है।
आल्प्स के कारण इटली में उत्तरी ठंडी हवाएं प्रवेश नहीं कर पाती हैं किंतु पूर्वी भाग में ठंडी तथा तेज ‘बोरा’ नामक हवाएँ चलती हैं। दक्षिण में अपेनाइंस पहाड़ के कारण अंध महासागर से आने वाली हवाओं का प्रभाव ‘तिरहीनियन’ समुद्र तट तक ही सीमित रहता है और ये हवाएं इटली में प्रवेश नहीं कर पातीं।
उत्तरी तथा दक्षिणी इटली के तापमान में पर्याप्त अंतर पाया जाता है। ताप का उतार-चढ़ाव 52 डिग्री फारेनहाइट से 66 डिग्री फारेनहाइट तक होता है। दिसंबर तथा जनवरी सबसे अधिक ठंडे तथा जुलाई और अगस्त सबसे अधिक गर्म महीने होते हैं। पो नदी के मैदान का औसत ताप 55 डिग्री फारेनहाइट तथा 500 मील दूर स्थित सिसली का औसत ताप 64 डिग्री फारेनहाइट है।
देश में वर्षा का वार्षिक औसत 899 मिमी है। उत्तर के आल्प्स के पहाड़ी क्षेत्र तथा अपेनाइंस के ऊँचे पश्चिमी भाग में सर्वाधिक वर्षा होती है। आल्प्स के मध्यवर्ती भाग में गर्मी में वर्षा होती है तथा जाड़े में बर्फ गिरती है। पो नदी की द्रोणी में गर्मी में अधिक वर्षा होती है। स्थानीय कारणों के अतिरिक्त इटली की जलवायु भूमध्यसागरीय है जहाँ जाड़े में वर्षा होती है तथा गर्मी शुष्क रहती है।
जलवायु की विषमता के कारण यहाँ विविध प्रकार की वनस्पतियाँ उगती हैं। आधुनिक किसानों ने पूरे इटली को फलों, तरकारियों तथा अन्य फसलों से भर दिया है, इसलिए केवल ऊँचे पहाड़ों पर ही जंगली पेड़ तथा झाड़ियाँ पाई जाती हैं। ऊँचाई पर नुकीली पत्ती वाले सदाबहार जंगल पाए जाते हैं। इनमें सरो, देवदार, चीड़ तथा फर के वृक्ष मुख्य हैं।
उत्तर के पर्वतीय ठंडे भागों में अधिक ठंड सहन करने वाले पेड़ पाए जाते हैं। तटीय तथा अन्य निचले मैदानों में जैतून, नारंगी, नीबू आदि फलों के उद्यान हैं। मध्य इटली में अपेनाइंस पर्वत की ऊँची श्रेणियों को छोड़कर प्राकृतिक वनस्पति अन्यत्र उपलब्ध नहीं होती। यहाँ जैतून तथा अंगूर की खेती होती है। दक्षिणी-इटली में तिरहीनियन तट पर जैतून, नारंगी, नीबू, शहतूत, अंजीर आदि फलों के उद्यान हैं। इस भाग में कंदों से उगाए जाने वाले फूल भी होते हैं।
कृषि
इटली-वासियों का सबसे बड़ा व्यवसाय खेती है। जलवायु तथा प्राकृतिक दशा की भिन्नता के कारण इस छोटे से देश में राई से लेकर चावल तक, सेब से लेकर नारंगी तक तथा अलसी से लेकर कपास तक विविध प्रकार की जिन्सें पर्याप्त मात्रा में पैदा होती हैं। इटली में लगभग 700 लाख एकड़ भूमि उपजाऊ है जिसमें से 183 लाख एकड़ में अन्न, 28 लाख एकड़ में दाल आदि फसलें, 8 लाख एकड़ में औद्योगिक फसलें, 15 लाख एकड़ में तरकारियाँ, 24 लाख एकड़ में अंगूर, 20 लाख एकड़ में जैतून, 2 लाख एकड़ में चरागाह और चारे की फसलें तथा 144 लाख एकड़ भूमि में जंगल पाए जाते हैं।
जनसंख्या
द्वितीय विश्व-युद्ध से पहले इटली में जनसंख्या वृद्धि की दर काफी ऊँची थी किंतु द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इटली की जनसंख्या लगभग स्थिर हो गई। ई.1931 में वार्षिक वृद्धि 0.87 प्रतिशत थी। इटली की जनसंख्या वर्ष 2008 में 5 करोड़ 90 लाख तथा वर्ष 2019 में 5 करोड़ 92 लाख थी।
इस प्रकार विगत ग्यारह वर्षों के औसत के अनुसार तो इटली की जनसंख्या स्थिर रही किंतु विगत कुछ सालों से इसकी जनसंख्या में 0.1 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट दर्ज की जा रही है। पर्वतीय भूमि तथा सीमित औद्योगिक विकास के कारण जनसंख्या का घनत्व अन्य यूरोपीय देशों की अपेक्षा बहुत कम अर्थात् केवल 201 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। इटली में 30 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में एवं सत्तर प्रतिशत जनसंख्या नगरों में निवास करती है तथा देश के 99 प्रतिशत लोग शिक्षित हैं।
खनिज सम्पदा
सिसली (काल्टानिसेटा), टस्कनी (अरेंजो, फ्लोरेंस तथा ग्रासेटो), सार्डीनिया (कैगलिआरी, ससारी तथा इंग्लेसियास) एवं पीडमांट क्षेत्रों में खनिज तथा औद्योगिक विकास हुआ है। इटली से कीमती रत्न एवं लोहा सहित विभिन्न प्रकार के खनिज दूसरे दशों को निर्यात किये जाते हैं जबकि अन्य बहुत से खनिज आयात भी किए जाते हैं।
उद्योग-धंधे
देश का प्रमुख उद्योग सूती तथा रेशम आधारित वस्त्र-उद्योग है। लोंबार्डी, पीडमांट तथा वेनेशिया मुख्य सिल्क उत्पादक क्षेत्र हैं। देश में रासायनिक वस्तुएं बनाने तथा चीनी बनाने के भी पर्याप्त कारखाने हैं। विभिन्न प्रकार की मशीनें, मोटर, मोटर साइकिल तथा साइकिल बनाने का उद्योग भी बहुत बड़ा है। देश की नदियों में जलविद्युत् पर्याप्त मात्रा में उत्पन्न की जाती है। अर्जेंटीना, संयुक्त राज्य अमरीका एवं कनाडा आदि देशों से इटली के व्यापारिक सम्बन्ध हैं।
आयात की जाने वाली वस्तुओं में कपास, ऊन, कोयला और रासायनिक पदार्थ हैं तथा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में विभिन्न प्रकार की मशीनें, फल, सूत, कपड़े, मोटर, मोटरसाइकिल एवं कुछ विशिष्ट रासायनिक पदार्थ हैं। इटली का आयात, निर्यात से अधिक है।
नगर
संपूर्ण देश 19 क्षेत्रों तथा 92 प्रांतों में बँटा हुआ है। देश में एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले केवल 26 नगर हैं। इनमें रोम, मीलान नेपल्स, तूरिन तथा जेनेवा प्रमुख हैं। अन्य नगरों में टोरीनो, बर्गमो, वेनिस, रवेन्ना, बारी, सियेना, फ्लोरेन्स, पीसा नापोलि, पाम्पे, सोरेन्टो, पलेर्मो, ट्रिएस्ट, वेरोना, जेनोआ तथा ब्रिंडिसि प्रमुख हैं।