Thursday, November 21, 2024
spot_img

अलवर नरेश तेजसिंह नजरबंद !

राजा लोग विगत कुछ दशकों से अंग्रेजों की छत्रछाया में कांग्रेसी नेताओं से संघर्ष करते आ रहे थे। इसलिए वे देशी की आजादी के समय भी हवा के रुख के परिवर्तन को नहीं पहुंचा सके और भारत सरकार के नेताओं की अवज्ञा करने लगे। जब अलवर नरेश तेजसिंह नजरबंद कर लिया गया, तब जाकर राजाओं की आंखें खुलीं।

जब राजाओं को भारत संघ में मिलने का आमंत्रण दिया गया था तब सरदार पटेल द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि स्वतंत्र भारत में, 19 सक्षम राज्यों- कश्मीर, हैदराबाद, त्रावणकोर, कोचीन, मैसूर, बड़ौदा, कच्छ, ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, बीकानेर, जोधपुर, कूच बिहार, त्रिपुरा, मनिपुर, जयपुर, उदयपुर, मयूरभंज तथा कोल्हापुर को अलग राज्य बने रहने दिया जायेगा।

जबकि वास्तविकता यह थी कि लोकतंत्रात्मक व्यवस्था में दो तरह की प्रशासनिक व्यवस्था चलाना संभव नहीं था। इसलिये सरदार पटेल ने 15 अगस्त 1947 के बाद से ही रियासतों के एकीकरण का अभियान छेड़ दिया। 14 दिसम्बर 1947 एवं बाद की तिथियों में छत्तीसगढ़ तथा उड़ीसा की रियासतों ने भारत सरकार को शासन के पूर्ण अधिकार सौंप दिये। 1 जनवरी 1948 को इन रियासतों का शासन मध्यप्रदेश तथा उड़ीसा सरकारों को सौंप दिया गया।

सरदार वल्लभ भाई पटेल - www.bharatkaitihas.com
To Purchase this Book Please Click on Image

रियासती मंत्रालय की एकीकरण नीति की अखबारों में कटु आलोचना हुई तो सरदार पटेल ने अपने सलाहकार वी. पी. मेनन को गांधीजी और पं. नेहरू के पास भेजा ताकि उन्हें इस कार्यवाही के औचित्य में विश्वास करा दिया जाये। गांधीजी को इस काम से पूरी तरह संतोष था किंतु सरदार पटेल की इस कार्यवाही से राजाओं के मन में भय उत्पन्न हो गया। पटेल एक सुनिश्चित नीति के तहत एकीकरण की प्रक्रिया चला रहे थे किंतु कुछ देशी रियासतों में भड़के हिन्दू-मुस्लिम दंगों ने एकीकरण की प्रक्रिया को तेज कर दिया।

अलवर एवं भरतपुर में मेव जाति ने आतंक फैला दिया जिसकी प्रतिक्रिया में हिन्दुओं ने भी मेवों पर आक्रमण किये। इन दंगों में भरतपुर रियासत में 209 गाँव पूर्णतः नष्ट हो गये। मेवों के नेता, भरतपुर रियासत के उत्तरी भाग, गुड़गांव और अलवर रियासत के दक्षिणी क्षेत्रों को मिलाकर मेवस्तान बनाने का स्वप्न देख रहे थे किंतु अलवर राज्य के दीवान नारायण भास्कर खरे ने मेवों को सख्ती से कुचला।

खरे हिन्दू महासभा के अध्यक्ष भी रहे थे, इसलिये कांग्रेसी नेताओं ने खरे पर कट्टर हिन्दूवादी होने के आरोप लगाये। कांग्रेसियों का मानना था कि खरे ने हिन्दुओं को मेवों के विरुद्ध भड़का कर दंगा करवाया। अक्टूबर 1947 में सरदार पटेल ने दिल्ली में रियासती प्रतिनिधियों की एक सभा बुलाई। इस सभा में सरदार पटेल ने अलवर के राजा तेजसिंह तथा दीवान नारायण भास्कर खरे को चेतावनी दी कि जो लोग सांप्रदायिकता फैलाने का काम कर रहे हैं, वे देश के शत्रु हैं। नारायण भास्कर खरे का कहना था कि सरदार पटेल, अलवर राज्य के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप कर रहे हैं जिसका उन्हें कोई अधिकार नहीं है।

30 जनवरी 1948 को गांधीजी की हत्या हो गई जिसमें अलवर नरेश तेजसिंह और उसके प्रधानमंत्री नारायण भास्कर खरे का हाथ होने का संदेह किया गया। भारत सरकार ने 7 फरवरी 1948 को तेजसिंह को दिल्ली बुलाकर कनाट प्लेस पर स्थित मरीना होटल में नरजबंद कर दिया तथा अलवर राज्य का प्रशासन अपने हाथ में ले लिया। राज्य के दीवान खरे को पदच्युत करके दिल्ली में नजरबंद कर दिया गया।

जब अलवर नरेश तेजसिंह नजरबंद कर लिया गया तब राजपूताना के राजाओं में भय व्याप्त हो गया और वे राष्ट्रीय नेताओं के दबाव में आ गये। अब वे अपने राज्यों को राजस्थान में मिलाने के लिये प्रस्तुत हो गये।

अलवर, भरतपुर, धौलपुर तथा करौली के राजाओं को हटाकर इन राज्यों का एक संघ बनाने का निर्णय होने के बाद, सरदार पटेल अलवर आये तथा एक आम सभा में उन्होंने मार्मिक शब्दों में राजस्थान की जनता का आह्वान किया- ‘छोटे राज्य अब बने नहीं रह सकते।

उनके सामने एक ही विकल्प है कि वे बड़ी तथा समुचित आकार की इकाईयों में सम्मिलित हो जायें। जो अब भी राजपूत आधिपत्य की स्थापना का स्वप्न देखते हैं, वे आधुनिक संसार से बाहर हैं। अब शक्ति, प्रतिष्ठा या वर्ग का चिंतन उचित नहीं।

आज हरिजन की झाड़ू राजपूतों की तलवार से कम महत्वपूर्ण नहीं है। जैसे माँ का झुकाव बच्चे की ओर होता है वैसे ही जो लोग देश के हितों की देखभाल कर रहे हैं, वे सबसे ऊपर हैं। वे भी समान समर्पण तथा बराबर आदर सम्मान के अधिकारी हैं। जनता सांप्रदायिक सद्भाव, एकता तथा शांति बनाये रखे।’

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source