सरदार पटेल ने राजनैतिक सलाहकार कोनार्ड कोरफील्ड को इंग्लैण्ड के लिये डिस्पैच करवाया को इंग्लैण्ड के लिये डिस्पैच करवाया
वायसराय के राजनैतिक सलाहकार कोनार्ड कोरफील्ड ने मुहम्मद अली जिन्ना की सहायता करने के लिये, रेजीडेंटों और पॉलिटिकल एजेंटों के माध्यम से देशी राजाओं को भारतीय संघ से पृथक रहने के लिये प्रेरित किया। वायसराय के राजनैतिक सलाहकार की हैसियत से वह चाहता था कि कम से कम दो-तीन राज्य जिनमें हैदराबाद प्रमुख था, कांग्रेस के चंगुल से बच जायें। बाकी रजवाड़ों का भी भारत में सम्मिलित होना, जितना मुश्किल हो सके बना दिया जाये।
कोरफील्ड ने रजवाड़ों के बीच घूम-घूम कर प्रचार किया कि उनके सामने दो नहीं, तीन रास्ते हैं। वे दोनों उपनिवेशों में से किसी एक में सम्मिलित हो सकते हैं अथवा स्वतंत्र भी रह सकते हैं। उसके प्रयासों से त्रावणकोर तथा हैदराबाद ने घोषणा कर दी कि वे किसी भी उपनिवेश में सम्मिलित नहीं होंगे अपितु स्वतंत्र देश के रूप में रहेंगे। आजादी की तिथि में पाँच सप्ताह शेष रह गये थे। इस बीच कोरफील्ड ने माउण्टबेटन को बताये बिना, देशी रजवाड़ों से केंद्रीय सत्ता का विलोपन करना आरम्भ कर दिया। उसके कहने पर अधिकांश रियासतों में वे फाइलें जला दी गईं जिनमें अंग्रेजी सरकार तथा देशी रियासतों के बीच गोपनीय पत्र व्यवहार संजोकर रखा गया था।
यह पत्र व्यवहार राजाओं द्वारा अपनी रियासतों में किये गये अत्याचारों, हत्याओं और बलात्कार जैसे अपराधों के सम्बन्ध में था। कोरफील्ड के प्रयासों से केन्द्र सरकार एवं देशी रियासातें के बीच चली आ रही व्यवस्थायें रद्द होती जा रही थीं जबकि सरदार इस उधेड़-बुन में थे कि 15 अगस्त से पहले राजाओं की प्रत्येक व्यवस्था, जैसे सेना, डाक आदि को बनाये रखने के सम्बन्ध में राजाओं से किस प्रकार बात की जाये?
पटेल तथा मेनन ने विचार किया कि भारतीय राजाओं से केवल तीन विषयों- रक्षा, विदेशी मामले और संचार में विलय करने के लिये कहा जाये।
जब सरदार पटेल को कोरफील्ड की कारस्तानियों की जानकारी हुई तो उन्होंने माउण्टबेटन को कोरफील्ड की कारस्तानियों से अवगत कराया तथा उसे तत्काल कार्यमुक्त करके इंग्लैण्ड भेजने की मांग की। वायसराय भी कोरफील्ड की कारगुजारियों से तंग था, इसलिये वायसराय ने कोरफील्ड को उसी दिन कार्यमुक्त करके इंग्लैण्ड भेज दिया।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता