Thursday, November 21, 2024
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अजमेर दंगे !

भारत की आजादी के तुरंत बाद हुए अजमेर दंगे सरदार पटेल एवं जवाहर लाल नेहरू के बीच विवाद का विषय बन गए। जवाहर लाल नेहरू ने इन दंगों के बाद हिन्दुओं को कुचलने की तैयारी की जबकि पटेल का मानना था कि दंगे मुसलमानों ने किए थे।

5 दिसम्बर 1947 को अजमेर में साम्प्रदायिक दंगे फैल गये। इन दंगों को रोकने के लिये दिल्ली से सेना बुलानी पड़ी। दिल्ली क्षेत्र के कमाण्डिंग अधिकारी जनरल राजेन्द्रसिंह ने अजमेर का दो दिवसीय भ्रमण किया। पं. नेहरू ने इण्टर डोमिनियन मायनोरिटीज के अध्यक्ष एन. आर. मलकानी को एक तार भेजकर सूचित किया कि मुझे अजमेर में हुए दंगों पर गहरा खेद है किंतु दरगाह को पूरी तरह सुरक्षित रखा गया है। नेहरू ने मलकानी को यह भी सूचित किया कि वे शीघ्र ही अजमेर का दौरा करेंगे।

यह एक शर्मनाक स्थिति थी। एक ओर से पाकिस्तान से हिन्दुओं की ट्रेनें कटकर आ रही थीं और दूसरी ओर जवाहर लाल नेहरू छोटे से अजमेर दंगे के लिए पाकिस्तान से माफी मांग रहे थे। नेहरू के इस टेलिग्राम के बाद पाकिस्तान को भारत के विरुद्ध जहर उलगने का अवसर मिल गया।

पाकिस्तान सरकार के शरणार्थी एवं पुनर्वास मंत्री गजनफर अली खां ने भारत सरकार के गृहमंत्री सरदार पटेल को अजमेर की स्थिति के सम्बन्ध में टेलिग्राम किया। 17 दिसम्बर 1947 को सरदार पटेल ने उसे जवाब में टेलिग्राम भिजवाकर सूचित किया कि अजमेर में स्थिति नियंत्रण में है तथा एक सैनिक टुकड़ी दरगाह की रक्षा कर रही है।

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जवाहरलाल नेहरू अजमेर दंगे पर बहुत चिंतित थे। बालकृष्ण कौल एवं मुकुट बिहारी लाल ने नेहरू को अजमेर की स्थिति के बारे में सूचित किया। नेहरू अजमेर के अधिकारियों एवं पुलिस के रवैये से प्रसन्न नहीं थे। नेहरू ने सरदार पटेल को लिखे एक पत्र में दो महत्त्वपूर्ण बातों की ओर ध्यान दिलाया। पहला बिंदु यह था कि यदि इस घटना की बड़े स्तर पर पुनरावृत्ति हुई तो उसके भयानक परिणाम होंगे। दूसरा यह कि दरगाह के कारण अजमेर पूरे भारत में तथा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यदि दरगाह को कुछ हुआ तो उसका प्रचार पूरे भारत में एवं पूरे विश्व में होगा। इससे भारत सरकार की छवि को धक्का पहुँचेगा।

जवाहरलाल नेहरू का पत्र मिलने के बाद सरदार पटेल ने अजमेर प्रकरण पर एक सार्वजनिक वक्तव्य जारी किया। उन्होंने अजमेर में हुई मौतों की संख्या बताते हुए कहा कि 15 दिसम्बर 1947 से लेकर अब तक हुए दंगों में 5 हिन्दू तथा 1 मुसलमान मरा है। साथ ही पुलिस फायरिंग में 21 हिन्दू तथा 62 मुसलमान घायल हुए हैं। मिलिट्री की फायरिंग में 8 हिन्दू तथा 7 मुसलमान मारे गये हैं और 2 हिन्दू एवं 2 मुसलमान घायल हुए हैं। सम्पत्ति का भयानक नुक्सान हुआ है।

अधिक नुक्सान स्टेशन रोड तथा इम्पीरियल रोड पर स्थित मुसलमानों की आठ बड़ी दुकानों में हुआ है। कुछ अन्य दुकानों यथा स्टेशनरी, चूड़ी, आलू, कोयला, किताबों आदि की दुकानों में भी नुक्सान हुआ है।

कुल 41 दुकानें लूटी गई हैं तथा 16 दुकानें जलाई गई हैं। इनमें से तीन दुकानें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं। सम्पत्ति को नष्ट होने से बचाने तथा दंगाइयों को बंदी बनाने के लिये सघन प्रयास किये गये हैं। दरगाह इस सबसे पूरी तरह सुरक्षित रही है। सरदार पटेल ने दरगाह से जुड़े धार्मिक लोगों से अपील की कि वे इसकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखेंगे। उन्होंने सरकार की ओर से आशा व्यक्त की कि इस ऐतिहासिक नगरी में शीघ्र ही फिर से शांति स्थापित होगी।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

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