भारत की आजादी के समय भारत में 566 देशी रियासतें थीं किंतु पाकिस्तान के अलग हो जाने के कारण उस क्षेत्र की 12 रियासतें पाकिस्तान में चली गईं। सरदार पटेल ने शेष 554 में से 550 देशी रियासतों का विलय भारत में कर लिया।
भारतीय राजाओं ने भारत संघ में सम्मिलित होने के लिये एक-एक करके हस्ताक्षर करने के लिये कतार लगा दी। कुछ रजवाड़ों ने अपना विलय स्वीकार तो किया किंतु बेहद कड़वाहट के साथ। मध्य भारत का एक राजा विलय के कागजों पर हस्ताक्षर करने के साथ लड़खड़ा कर गिरा और हृदयाघात से मर गया। बड़ौदा का महाराजा दस्तखत करने के बाद मेनन के गले में हाथ डालकर बच्चों की तरह रोया।
भोपाल ने सेंट्रल इण्डियन स्टेट्स का एक फेडरेशन बनाने का प्रयास किया किंतु वह असफल हो गया। जब त्रावणकोर ने प्रविष्ठ संलेख पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया तो सरदार पटेल के आदेश पर त्रावणकोर की जनता ने महाराजा के खिलाफ आंदोलन किया। त्रावणकोर की जनता ने त्रावणकोर राज्य की पुलिस के साथ सड़कों पर मुठभेड़ की। 29 जुलाई को एक अनजान व्यक्ति ने त्रावणकोर रियासत के प्रधानमंत्री सर सी. पी. रामास्वामी अय्यर को छुरा मारकर बुरी तरह घायल कर दिया। रामास्वामी के चेहरे पर गहरी चोट आयी।
आक्रमणकारी भागने में सफल रहा। इस हमले ने निर्णय कर दिया। महाराजा ने वायसराय को तार दिया कि वह दस्तखत करने को तैयार है। सरदार पटेल ने स्थानीय कांग्रेस कमेटी को महाराजा के विरुद्ध प्रदर्शन बंद करने का आदेश दिया। त्रावणकोर भारत में मिल गया। त्रावणकोर की घटनाओं का देशी राजाओं पर जादू का सा प्रभाव हुआ। उन्हें बड़ा सबक मिला और वे और अधिक संख्या में हस्ताक्षर करने लगे। त्रावणकोर की घटनाओं ने हैदराबाद, भोपाल, जोधपुर व इंदौर के शासकों को हिला दिया। उन्हें अपना भविष्य अंधकारमय दिखाई देने लगा किंतु वे अब भी हठ छोड़ने को तैयार नहीं थे।
वायसराय ने भोपाल, जोधपुर व इंदौर के शासकों अथवा उनके दीवानों को वार्त्ता के लिये बुलाया। इन वार्त्ताओं के परिणाम स्वरूप जोधपुर एवं इंदौर के राजाओं ने भारत में सम्मिलित होना स्वीकार कर लिया।
15 अगस्त 1947 को भारत स्वतन्त्र हो गया। 566 भारतीय रियासतों में से 12 रियासतें- बहावलपुर, खैरपुर, कलात, लास बेला, मकरान, खरान, अम्ब (तनावल), चित्राल, हुंजा, धीर, नगर तथा स्वात, पाकिस्तानी क्षेत्रों से घिरी हुई थीं। इसलिये उन्हें पाकिस्तान में सम्मिलित किया गया। शेष 554 रियासतें भारत में रह गईं।
इनमें से जूनागढ़़ (सौराष्ट्र), भोपाल, हैदराबाद (दक्षिण भारत) और जम्मू-कश्मीर को छोड़कर 550 रियासतों ने सरदार पटेल के प्रयत्नों से 15 अगस्त 1947 से पहले ही भारतीय संघ में मिलने पर सहमति दे दी। जूनागढ़, हैदराबाद, भोपाल तथा जम्मू-कश्मीर राज्य भारत में मिलने को तैयार नहीं हुए। 554 में से 550 देशी रियासतों का विलय भारत की बहुत बड़ी सफलता थी। इस सफलता का श्रेय सरदार पटेल, वी. पी. मेनन तथा उनकी टीम को जाता है।
भारत के एकीकरण पर संतोष व्यक्त करते हुए जॉर्ज षष्ठम् ने लिखा है- मैं बहुत प्रसन्न हूँ कि लगभग समस्त भारतीय राज्यों ने किसी न किसी उपनिवेश में सम्मिलित होने का निर्णय कर लिया है। वे संसार में कभी भी अकेले खड़े नहीं हो सकते थे।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता