सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म एक गुजराती लेवा पटेल परिवार में हुआ। लेवा स्वयं को भगवान श्रीराम के वंशज मानते हैं।
उनके अनुसार लेवा भगवान श्रीराम के पुत्र लव के वंशज हैं। लेवा जाति पंजाब में निवास करने वाली क्षत्रिय जाति थी जो किसी समय गुजरात में आकर रहने लगी। लेवा जाति की पाटीदार शाखा से सम्बन्धित होने के कारण वल्लभभाई के पूर्वज लेवा पटेल कहलाने लगे। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को काठियावाड़ (गुजरात) के नाडियाद कस्बे में हुआ जहाँ उनकी ननिहाल थी। सरदार का पैतृक गांव करमसद, गुजरात के खेड़ा जिले की बोरसद तहसील में था जहाँ उनके पिता झबेरभाई पटेल खेती करते थे।
गुजरात में इस वंश के लोग बड़ी संख्या में निवास करते हैं। इस जाति के लोगों ने बड़ी संख्या में 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। झबेरभाई ने भी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना में भर्ती होकर अंग्रेजों से लोहा लिया। लक्ष्मीबाई के परास्त हो जाने पर इंदौर के शासक मल्हारराव होलकर के सैनिकों ने झबेरभाई को बंदी बना लिया। जब झबेरभाई को बंदी बनाकर मल्हारराव होलकर के पास ले जाया गया, उस समय मल्हारराव, शतरंज खेलने में व्यस्त था, अतः सैनिक, बंदी के साथ चुपचाप खड़े हो गये।
झबेरभाई भी चुपचाप खड़े होकर महाराजा का खेल देखने लगे। थोड़ी देर में मल्हारराव एक चाल में फंस गया और उसे अपनी हार दिखाई देने लगी।
झबेरभाई शतरंज के कुशल खिलाड़ी थे। उन्होंने मल्हारराव को एक चाल सुझाई, जिससे पासा पलट गया और मल्हारराव, हारी हुई बाजी जीत गया। उसने झबेरभाई को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया।
झबेरभाई अपने गांव लौट आये और खेती करने लगे। इस परिवार के पास 10 एकड़ जमीन थी जिस पर खेती करके यह परिवार जीवन यापन करता था। इसी परिवार में वल्लभ भाई का जन्म हुआ। सार्वजनिक जीवन में प्राप्त ऊँचाइयों के कारण उन्हें सरदार की उपाधि दी गई तथा लौह पुरुष कहकर सम्बोधित किया गया।
–डाॅ. मोहनलाल गुप्ता