- Advertisement -
Latest articles
मेवाड़ के महाराणा क्यों बन गए थे हिन्दू नरेशों के सिरमौर (116)
अत्यंत प्राचीन काल से ही भारत में एक से बढ़कर एक वीर राजकुल हुए जिन्होंने हिन्दू जाति को हजारों साल तक स्वतंत्र बनाए रखा...
मानसिंह की मेवाड़ यात्रा (117)
मानसिंह की मेवाड़ यात्रा मध्यकालीन भारतीय राजनीति की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण थी। इस यात्रा में मानसिंह ने महाराणा प्रताप को समझाने का प्रयास...
अकबर और महाराणा प्रताप एक-दूसरे के प्राण लेना चाहते थे (118)
अकबर तथा महाराणा प्रताप के बीच आदि से अंत तक जो भी घटनाएं हुईं उनसे यह सिद्ध होता है कि न तो अकबर महाराणा प्रताप से संधि चाहता था और न महाराणा प्रताप किसी भी कीमत पर अकबर से संधि करना चाहता था।
महाराणा प्रताप की सेना (119)
महाराणा प्रताप की सेना के हरावल का नेतृत्व हकीम खाँ सूर के हाथ में था। उसकी सहायता के लिये सलूम्बर का चूण्डावत किशनदास, सरदारगढ़ का डोडिया भीमसिंह, देवगढ़ का रावत सांगा तथा बदनोर का रामदास नियुक्त किये गये।
मानसिंह की दुविधा (120)
मुगलों द्वारा रामप्रसाद के महाबत को भी मार डाला गया। जैसे ही महाबत धरती पर गिरा, मुगल सेना के हाथियों का फौजदार हुसैन खाँ अपने हाथी से रामप्रसाद पर कूद गया।
Categories
- भारत का इतिहास887
- मध्यकालीन भारत674
- लाल किले की दर्द भरी दास्तां230
- विश्व-इतिहास228
- साहित्य180
- श्रेष्ठ ऐतिहासिक उपन्यास178
- दिल्ली सल्तनत की दर्दभरी दास्तान177
- सांस्कृतिक भारत151
- भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का इतिहास144
- इतिहास पुरुष140
- चित्रकूट का चातक136
- कैसे बना था पाकिस्तान129
- सरदार वल्लभ भाई पटेल119
- आधुनिक भारत116
- पौराणिक भारत108
- बाबर के बेटों की दर्दभरी दास्तान103
- आधुनिक भारत का इतिहास100
- जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर69
- मध्यकालीन भारत का इतिहास60
- विविध आलेख58