जकार्ता के मंदिर मुख्यतः भगवान शिव को समर्पित हैं जिनसे ज्ञात होता है कि आज से कई हजार साल पहले से लेकर सत्रहवीं शताब्दी ईस्वी तक जकार्ता में शैव मत को मानने वाले हिन्दू बड़ी संख्या में निवास करते थे।
जकार्ता शहर जावा द्वीप में स्थित है। जावा द्वीप से उन आदिम मानवों के अस्थि अवशेष भी मिले हैं जो होमो-सेपियन जाति के अस्तित्व में आने से पहले ही इस द्वीप में मानव बस्तियों के होने के प्रमाण देते हैं।
जकार्ता शहर का वास्तविक नाम जयकार्ता है। यह पश्चिमी जावा में स्थित है तथा इंडोनेशिया की राजधानी है। जकर्ता में 17 प्रमुख हिन्दू मंदिर पाए गए हैं जिनमें नौवीं शताब्दी ईस्वी में निर्मित विशाल शिव मंदिर, 926 ई. में बना तीर्थ एम्पुल मंदिर, 11वीं सदी में बना गोवा गजह (शिव मंदिर), 14वीं शताब्दी में निर्मित बेसैख का माता मंदिर और 1633 ई. में निर्मित पुरा उलुंदनु ब्रतन (शिव मंदिर) प्रमुख हैं।
जकार्ता के मंदिर इस द्वीप के प्राचीन राजनीतिक इतिहास एवं हिन्दू संस्कृति के प्रसार पर भी प्रकाश डालते हैं।
योग्यकार्ता के मंदिर
योग्यकार्ता शहर मध्य-जावा द्वीप में स्थित है। फरवरी 2010 में योग्यकर्ता में स्थित एक निजी मुस्लिम विश्वविद्यालय के परिसर में दो मंदिरों के अवशेष मिले जब विश्वविद्यालय ने वहाँ बनी एक मस्जिद के पास पुस्तकालय बनाने के लिए खुदाई आरम्भ की। ये मंदिर लगभग 1100 साल पुराने हैं तथा विशाल और अद्वितीय हैं। ऐसे मंदिर इंडोनेशिया के इतिहास में पहले कभी नहीं देखे गए। इन मंदिरों में भगवान् शिव के शिवलिंगों के साथ-साथ भगवान् गणेश की प्रतिमाएं मिली हैं। एक अन्य स्थान पर हुई खुदाई में पुरातत्व विभाग को भगवान् शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा मिली। नंदी की यह प्रतिमा, सामान्य नंदी प्रतिमाओं से काफी अलग है और दूसरी मूर्तियों की तरह चौड़ी भी नहीं है। इन मंदिरों की प्राप्ति से स्पष्ट है कि इस द्वीप पर भगवान शिव के और भी बहुत से मंदिर धरती के भीतर दबे पड़े होंगे जिन्हें खोज कर निकाले जाने की आवश्यकता है। इनमें से बहुत से मंदिर तो भूकम्प एवं ज्वालामुखी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण नष्ट हुए होंगे तथा बहुत से मंदिर को मुसलमान आक्रांताओं ने नष्ट किया होगा।
आवश्यकता इस बात की है जकार्ता के मंदिर ढूंढ कर निकाले जाएं। पर्याप्त संभव है कि उन मंदिरों से कुछ शिलालेख भी प्राप्त हों जो इस द्वीप के प्राचीन इतिहास पर और अधिक प्रकाश डाल सकें।
सिंघसरी शिव मंदिर
13वीं शताब्दी में बना सिंघसरी शिव मंदिर पूर्वी-जावा के सिंघसरी नामक स्थान पर बना हुआ है। यह विशाल शिव मंदिर अपनी भव्यता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। मंदिर में भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा है जिसके पूजन के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। भगवान शिव से सम्बन्धित समस्त पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाए जाते हैं।
-डॉ. मोहन लाल गुप्ता