Thursday, November 21, 2024
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14. देवभूमि की ओर

बाबर को अपनी खूनी ताकत पर पूरा भरोसा था जिसके बल पर वह अपना भाग्य नये सिरे से लिख सकता था। वह यह भी जानता था कि भाग्य उसका पूरा साथ दे रहा है। यह भाग्य ही था जिसके कारण उन्हीं दिनों बाबर की दोस्ती उस्ताद अली नामक एक तुर्क से हुई उस्ताद अली कमाल का आदमी था। उसे बंदूक बनाने की कला आती थी और वह कुछ अन्य तरह का विस्फोटक जखीरा भी बनाना जानता था। बाबर ने उसकी बड़ी आवभगत की और उसकी मदद से अपने लिये नये तरह का असला तैयार किया। कुछ ही समय बाद बाबर ने एक और ऐसा चमत्कारी आदमी ढूंढ निकाला। इसका नाम मुस्तफा था। उसे तोप बनाना और उसे सफलता पूर्वक चलाना आता था। बाबर ने इन दोनों आदमियों की सहायता से अपने लिये एक शक्तिशाली तोपखाने का गठन किया।

गोला-बारूद, बंदूकों और तोपखाने की शक्ति हाथ में आ जाने के बाद बाबर ने अपनी योजना पर तेजी से काम किया। उसने अपने आदमी पूरे अफगानिस्तान और मध्य एशिया में फैला दिये जिन्होंने घूम-घूम कर प्रचार करवाया कि बाबर फिर से सुन्नी हो गया है और वह बहुत शीघ्र ही हिन्दुस्तान की बेशुमार दौलत लूटने के लिये हिन्दुस्तान पर आक्रमण करने जा रहा है। हिन्दुस्तान से मिलने वाला सोना, चांदी, हीरे, जवाहरात और खूबसूरत औरतें बाबर के सिपाहियों में बांटी जायेंगी।

सैंकड़ों साल से बाबर के पूर्वज मध्य एशियाई बर्बर लड़ाकों की सेना लेकर हिन्दुस्तान पर हमला बोलते आये थे। उनके सैनिक जब हिन्दुस्तान से लौटते तो उनकी जेबें बेशुमार दौलत से भरी रहतीं। सोने-चांदी की अशर्फियाँ, हीरे-जवाहरात और कीमती आभूषण उन्हें लूट में मिलते थे। प्रत्येक सैनिक के पास दस-बीस से लेकर सौ-दौ सौ तक की संख्या में गुलाम होते थे जो बहुत ऊँचे दामों में मध्य एशिया के बाजारों में बिका करते थे। हिन्दुस्तान से लूटी गयी औरतें उनके हरम में शामिल रहती थीं। हिन्दुस्तान से लौटे हुए सैनिकों का सब ओर बहुत आदर होता था क्योंकि वे सैनिक कई-कई काफिरों को मारकर अपने लिये जन्नत में जगह सुरक्षित कर चुके होते थे और उनके घरों में हिन्दुस्थानी लौण्डियाएं काम करती थीं।

चंगेजखाँ और तैमूरलंग के समय के किस्से अब भी मध्य एशियाई देशों में बहुत चाव से कहे और सुने जाते थे। जब उन लोगों ने सुना कि बाबर फिर से सुन्नी हो गया है और बहुत बड़ी सेना लेकर हिन्दुस्तान पर हमला करने जा रहा है तो मध्य एशिया के बेकार नौजवानों ने बाबर की सेना में भर्ती होने का निर्णय लिया। बेशुमार दौलत और खूबसूरत औरतों के लालच में वे अपने घर-बार छोड़ कर अफगानिस्तान के लिये रवाना हो गये। जिन युवकों को उनके स्वजनों ने अनुमति नहीं दी वे भी रातों के अंधेरे में अपने घरों से भाग लिये। ये नौजवान रास्तों में नाचते-गाते और जश्न मनाते हुए अफगानिस्तान की ओर चले। देखते ही देखते बाबर की सेना में पच्चीस हजार सैनिक हो गये।

गोला-बारूद, बंदूकों और तोपखाने से सुसज्जित पच्चीस हजार सैनिकों को देखकर बाबर की छाती घमण्ड से फूल गयी। वह जानता था कि इन पच्चीस हजार सैनिकों की ताकत उसके पूर्वज तैमूर के बरानवे हजार अश्वारोही सैनिकों से कहीं अधिक है।

बाबर ने अपनी सात सौ तोपों को गाड़ियों पर रखवाया। उस्ताद अली को सेना के दाहिनी ओर तथा मुस्तफा को सेना के बायीं ओर तैनात करके स्वयं सेना के केन्द्र में जा खड़ा हुआ। इसके बाद उसने सेना को हिन्दुस्तान की ओर कूच करने का आदेश दिया। सैंकड़ों गाड़ियों को हिन्दुस्तान की ओर बढ़ता हुआ देखकर बाबर की खूनी ताकत हिलोरें लेने लगी। आज उसमें इतनी शक्ति थी कि वह दुनिया की किसी भी सामरिक शक्ति से सीधा लोहा ले सकता था। देवभूमि भारत को रौंदने का बरसों पहले देखा गया सपना शीघ्र ही पूरा होने वाला था।

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