गुजराती भाषा से प्रेम – दो दंगाई पाड़ों ने सबको भगा दिया
सरदार पटेल को बाल्यकाल में गुजराती भाषा से प्रेम था। चूंकि वे मेधावी क्षात्र थे, इसलिए अध्यापक चाहते थे कि वल्लभ भाई संस्कृत भाषा पढ़ें किंतु वल्लभ भाई ने संस्कृत के स्थान पर गुजाराती भाषा को चुना।
मैट्रिक में विद्यार्थियों को अन्य विषयों के साथ संस्कृत अथवा गुजराती में से कोई एक भाषा एच्छिक विषय के रूप में चुननी होती थी। वल्लभभाई ने गुजराती भाषा चुन ली। गुजराती भाषा के अध्यापक पढ़ाते तो गुजराती थे किंतु संस्कृत भाषा से बड़ा लगाव रखते थे। उन्हें अच्छा नहीं लगा कि वल्लभभाई जैसा मेधावी छात्र संस्कृत न पढ़े।
इसलिये उन्होंने नाराज होकर वल्लभभाई से पूछा कि तुमने संस्कृत क्यों नहीं ली ? वल्लभभाई ने उनकी नाराजगी को भांपकर उत्तर दिया कि यदि सारे छात्र संस्कृत लेंगे तो आप क्या पढ़ायेंगे ? इस पर शिक्षक नाराज हो गये और उन्होंने वल्लभभाई को आदेश दिया कि अपने घर से 200 तक के पाड़े (सही उच्चारण पहाड़े) लिखकर लाना। सरदार समझ गये कि उन्हें सजा मिली है। अतः वे घर से पहाड़े लिखकर नहीं लाये। अध्यापक ने पूछा कि 200 पाड़े क्यों नहीं लाये तो वल्लभभाई ने उत्तर दिया, गुरुजी घर से तो पूरे 200 पाड़े (भैंस के बच्चे) लेकर चला था किंतु दो बड़े बदमाश थे, इसलिये उन्होंने रास्ते में इतना दंगा किया कि सारे पाडे़ भाग गये, उसके बाद वो खुद भी भाग गये।
वल्लभभाई का उत्तर सुनकर अध्यापक ने प्रिंसीपल से वल्लभभाई की शिकायत की। जब प्रिंसीपल ने पूछा तो वल्लभभाई ने जवाब दिया कि ये गुजराती के अध्यापक हैं, इनका पहाड़ों से क्या सम्बन्ध है ! इस पर प्रिंसीपल को समझ में आ गया कि छात्र की गलती नहीं है, वह अध्यापक की जिद का शिकार हो गया है और उन्होंने वल्लभभाई को क्षमा कर दिया।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता