Thursday, November 21, 2024
spot_img

26. हिन्दू राजाओं के संघ ने गजनी के गवर्नरों से भारतीय दुर्ग खाली करवाए!

अब तक गजनी के शासकों को यह ज्ञात हो चुका था कि उन्हें गजनी के इंसानों के लिए आवश्यक धन, वस्त्र, पशु, गुलाम तथा अन्न प्राप्त करने के लिए भारत के अतिरिक्त कहीं और जाने की आवश्यकता नहीं है। भारत उनके लिए अक्षय कोष बन चुका था, जिसमें घुसकर वह सब-कुछ लूटा जा सकता था जिसकी गजनी को आवश्यकता थी। इसलिए ई.1037 में महमूद गजनवी के पुत्र मसूद ने हांसी पर अभियान किया। हांसी दुर्ग दिल्ली के तोमरों के अधीन था। तोमर शासक कुमारपाल देव की सेना ने दुर्ग भीतर से बंद कर लिया।

इस पर मसूद ने दुर्ग की दीवारों में पांच स्थानों पर सुरंगें लगाकर दुर्ग की प्राचीर गिरा दी। हांसी के दुर्ग ने इससे पहले कभी भी पराजय का मुख नहीं देखा था। 10 जनवरी 1038 को मसूद की सेना ने दुर्ग में प्रवेश करके समस्त पुरुषों को मौत के घाट उतार दिया तथा स्त्री एवं बच्चों को रस्सियों से बांधकर अपने साथ ले लिया। इस दुर्ग से मसूद की सेना को विपुल सम्पत्ति प्राप्त की।

इस रोचक इतिहास का वीडियो देखें-

तारीखे सुबुक्तगीन के अनुसार 10 फरवरी 1038 को मसूद अपने राजधानी गजनी पहुंच गया। इससे ज्ञात होता है कि उस काल में घोड़ों की पीठ पर बैठी हुई तुर्क सेना एक माह में गजनी से हांसी तक की यात्रा पूरी कर लेती थी। कुछ समय बाद मसूद ने काश्मीर की घाटी में स्थित सरसूति दुर्ग एवं सोनीपत पर आक्रमण किए तथा वहाँ से धन लूटा। इस प्रकार मसूद रावी नदी के पूर्वी क्षेत्र में स्थित कुछ क्षेत्रों पर अधिकार करने में सफल हो गया। इस काल में भारत की पश्चिमी सीमा हिन्दुकुश पर्वत की बजाय रावी नदी तक खिसक आई थी।

To purchase this book, please click on photo.

ई.1040 में गजनी पर पूर्व की ओर से सेल्जुक तुर्कों ने आक्रमण किया। उनसे बचने के लिए मसूद अपनी सारी सम्पत्ति लेकर लाहौर की ओर भागा किंतु मार्ग में मारीगला दर्रे के समीप उसके तुर्की एवं हिन्दू अमीरों ने विद्रोह कर दिया तथा मसूद को गौर के किले में कैद करके उसके अंधे भाई मुहम्मद को फिर से गजनी का सुल्तान घोषित कर दिया। मुहम्मद ने अपने छोटे भाई मसूद की हत्या करवा दी तथा स्वयं सुल्तान बन गया।

कुछ ही दिन बाद मसूद के पुत्र मौमूद ने गजनी पर अधिकार जमा लिया। इसी बीच मसूद के दूसरे पुत्र मजदूद ने गजनी से विद्रोह कर दिया। वह इन दिनों पंजाब का सूबेदार था। उसने सिंधु नदी के पूर्व में स्थित हांसी आदि दुर्गों पर अधिकार कर लिया। इस पर मौदूद ने पंजाब पर आक्रमण करके अपने भाई मजदूद को अपदस्थ कर दिया।

इस प्रकार इस काल में पंजाब से लेकर हिन्दुकुश पर्वत तक के क्षेत्र में हिन्दू राजाओं का अधिकार लगभग समाप्त हो गया तथा गजनी के शहजादे इस विशाल क्षेत्र पर राज्य करते रहे।

ई.1043 में दिल्ली के तोमर शासक कुमारपाल देव ने कुछ हिन्दू राजाओं से बात करके उन्हें अपने साथ मिला लिया तथा हांसी को गजनी के नियंत्रण से मुक्त करवा लिया। इसके बाद इन हिन्दू राजाओं ने कांगड़ा दुर्ग पर घेरा डाला। चार महीने की घेराबंदी के बाद हिन्दू सेना ने गजनी के अधिकारियों से कांगड़ा दुर्ग खाली करवा लिया।

हिन्दू राजाओं ने कांगड़ा दुर्ग में घुसकर वहाँ हिन्दू देवी-देवताओं की स्थापना कर दी। दिल्ली के शासक की इस सफलता से उत्साहित होकर उत्तर भारत के कुछ अन्य राजा भी उसके अभियान में सम्मिलित हो गए।

डी. सी. गांगुली के अनुसार परमार राजा भोज, कल्चुरी राजा कर्ण और चौहान राजा अन्हिल्ल ने तोमर राजा कुमारपाल का साथ दिया। अशोक कुमार मजूमदार के अनुसार चौहान शासक दुर्लभराज (तृतीय) भी इस अभियान में सम्मिलित हुआ।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source