सरदार वल्लभभाई पटेल ने लंदन में रहकर कानून की पढ़ाई की और बैरिस्ट्री की परीक्षा में विश्व भर में प्रथम रैंक हासिल की थी। इस दौरान उन्होंने केवल कानून की ही पढ़ाई नहीं की थी, उन्होंने अंग्रेजी संस्कृति, रहन-सहन, अंग्रेजी मनोविज्ञान तथा उनके व्यवहार करने के ढंग का भी अच्छा अध्ययन किया था। अंग्रेजी जीवन शैली को निकट से देख-समझ कर आत्मविश्वास से परिपूर्ण वल्लभभाई ने जीवन में हर कदम पर सफलता प्राप्त की।
अंग्रेजी दम्भ की अच्छी समझ आ जाने के कारण सरदार वल्लभभाई पटेल अच्छी तरह समझ गए थे कि अंग्रेजों के समक्ष कमर झुकाकर मुलायम शब्दों में अनुनय-विनय करने से बात नहीं बनेगी। अंग्रेजों के सामने तनकर खड़े होने, उनकी आंखों में आंख डालकर बोलने, उन्हीं की तरफ फर्राटेदार लम्बे-लम्बे वाक्य बोलने तथा हर वाक्य में कानून की धारा का उल्लेख करने से ही वे अंग्रेजी मजिस्ट्रटों और जजों से अपने मुकदमों का निर्णय अपने पक्ष में करवा सकते हैं।
वल्लभभाई ने अंग्रेज मजिस्ट्रेटों और अंग्रेज अधिकारियों के हौंसले पस्त करने और उनसे बराबरी के स्तर पर बात करने के अनोखे फार्मूले का आविष्कार कर लिया था। वे महंगे अंग्रेजी ढंग के कपडे़ पहनते, उन्हीं की तरह हैट लगाते, उन्हीं की तरह सिगार पीते और उन्हीं की तरह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते। कानून जितना वल्लभभाई को याद था, उतना किसी अन्य व्यक्ति या मजिस्ट्रेट को नहीं। इसलिये वे कोर्ट में अजेय हो गये थे। जी. वी. मावलंकर जो आगे चलकर भारत की प्रथम लोकसभा के अध्यक्ष बने, उन्होंने उन दिनों के पटेल के व्यक्तित्व के बारे में लिखा है जब वे अहमदाबाद की कोर्ट में बैरिस्ट्री करने पहुंचे थे।
मावलंकर ने लिखा है- ‘एक चुस्त युवक। शानदार सूट में सजा-धजा। एक खास कोण का फेनेट पहने। वह स्वभाव से थोड़ा कठोर एवं अल्पभाषी है। आंखें चमकीली व पैनी, मानो अंदर तक भेद जाएंगी। अभिवादन का उत्तर देता है, पर बातचीत उससे आगे नहीं बढ़ाता। सारी दुनिया को जैसे अपनी उत्कृष्टता की ऊँचाई से नीचे देखता है। इसी श्रेष्ठता की भावना से जब कभी कुछ बोलता है तो उसके हर शब्द में आत्मविश्वास की झलक मिलती है। ऐसा है वह अहमदाबाद में आया नया बैरिस्टर।’
आत्मविश्वास से परिपूर्ण वल्लभभाई का यह व्यक्तित्व स्वतंत्रता संग्राम के समय पूरी तरह तो नहीं बदला, हाँ उन्होंने अंग्रेजी हैट-टाई और सूट-बूट छोड़कर देशी झब्बा और धोती धारण कर ली।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता