यह संसार में अपनी तरह का एक ही प्रकरण है जिसमें सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपने बड़े भाई विट्ठलभाई पटेल को अपनी जगह बैरिस्ट्री की पढ़ाई करने लंदन भेज दिया।
वल्लभभाई बोरसद के न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे थे किंतु उनकी इच्छा थी कि वे इंग्लैण्ड से बैरिस्ट्री पढ़ कर आयें। उन्होंने इंग्लैण्ड जाने के लिये पैसा जोड़ना आरम्भ किया। उनकी पत्नी झबेरबा भी इस काम में वल्लभभाई का सहयोग करने लगीं।
ई.1904 में वल्लभभाई ने टॉमस कुक एण्ड कम्पनी से इंग्लैण्ड के लिये एक टिकट बुक करवाया। उन्होंने कम्पनी को किये गये आवेदन पत्र में अपना नाम वी. जे. पटेल (वल्लभभाई झबेर पटेल) लिखा तथा घर के पते की जगह अपने भाई के घर का पता लिख दिया ताकि वल्लभभाई के लंदन में होने की स्थिति में विट्ठलभाई पटेल के घर के पते पर महत्त्वपूर्ण डाक आती रहे। टॉमस कुक एण्ड कम्पनी ने वल्लभभाई का टिकट उनके बड़े भाई वी. जे. पटेल (विट्ठलभाई झबेर पटेल) के पते पर पोस्ट कर दिया। जब विट्ठलभाई ने वह टिकट देखा तो विट्ठलभाई पटेल के मन में भी आस जागी। उन्होंने वल्लभभाई से कहा कि यदि तू यह टिकट मेरे ही पास रहने दे तो मैं लंदन जाकर बैरिस्ट्री की पढ़ाई कर आऊँ! तू मुझसे छोटा है, मेरी आयु अधिक हो जाने के कारण बाद में मैं, यह काम नहीं कर पाऊँगा। इसलिये तू बाद में चले जाना।
वल्लभभाई ने अग्रज की इच्छा को तुरंत स्वीकार कर लिया और न केवल अपना टिकट ही उन्हें दे दिया अपितु पाई-पाई करके यत्नपूर्वक जोड़े गये अपने धन से की गई समस्त व्यवस्थाओं को भी उन्होंने विट्ठलभाई को समर्पित कर दिया।
विट्ठलभाई इंग्लैण्ड चले गये और वल्लभभाई ने उनके परिवार का व्यय भी उठाया। भाई के लिये ऐसा प्रेम और आदर बहुत कम देखने को मिलता है, जैसा वल्लभभाई ने करके दिखाया।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता