Thursday, November 21, 2024
spot_img

ममताबनर्जी की असली ताकत कौन है?

ममताबनर्जी की असली ताकत कौन है, वह जनता जिसने ममता के दल को वोट देकर चुना, या विदेशी घुपैठिए? या फिर कोई अन्य विदेशी शक्ति जो पड़ौसी बांगलादेश में शेख हसीना की सरकार का तख्ता पलट करके हिन्दुओं के खून से होली खेल रही है?

आखिर किस रहस्यमयी ताकत के बल पर ममता बनर्जी ने 28 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम लेकर पूरे देश को धमकाया कि यदि ममता की सरकार अस्थिर हुई तो वे भारत की राजधानी सहित अनेक प्रांतों में आग लगा देंगी?

तो क्या अब ममता बनर्जी पश्चिमी बंगाल की निरंकुश मालकिन बन गई हैं और वे स्वयं ही इतनी ताकतवर हो गई हैं कि देश में आग लगा सकती हैं! या फिर उनकी ताकत के पीछे वास्तव में कोई और है?

ममता बनर्जी के अतिरिक्त और किसी मुख्यमंत्री ने 1947 से लेकर आज तक देश के प्रधानमंत्री के लिए इतने अपमानजनक शब्दों का प्रयोग नहीं किया और न ही कभी भारत की अस्मिता को चुनौती दी।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर, इंदिरा गांधी, नरसिम्हा राव तथा अटल बिहारी वाजपेयी तक की सरकारों ने विभिन्न कारणों से राज्य सरकारों को बर्खास्त किया किंतु किसी भी मुख्यमंत्री ने न तो कभी प्रधानमंत्री के लिए जवाहर बाबू या अटल बाबू जैसे हल्के शब्दों का प्रयोग किया और न कभी देश में आग लगाने की धमकी दी।

जहाँ तक मुझे स्मरण है, जब अटलबिहारी वाजपेयी ने बिहार की सरकार बर्खास्त की थी, तब राबड़ी देवी हाथ में डण्डा लेकर बिहार की सड़कों पर उतरी थीं और उन्होंने बिहार के तत्कालीन राज्यपाल सुंदरसिंह भण्डारी के लिए कहा था कि इसकी एक टांग तो पहले से ही टूटी हुई है, दूसरी टांग मैं तोड़ डालूंगी।

ममता बनर्जी किसे धमका रही हैं, इसे समझना कठिन नहीं है किंतु इस धमकी की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसे समझना अत्यंत कठिन है। ममता बनर्जी को ऐसी भाषा का प्रयोग करने की हिम्मत कौन दे रहा है! भारत के विभिन्न प्रांतों में बैठे रोहिंग्या या बांगलादेश और नेपाल के बॉर्डर से आए वे विदेशी घुसपैठिए जो दीमक की तरह भीतर ही भीतर अपनी संख्या बढ़ा चुके हैं? इनमें से ममताबनर्जी की असली ताकत कौन है?

निश्चित रूप से नेताओं को जो भी शक्ति मिलती है, जनता के वोट से मिलती है। किसी भी नेता में यह शक्ति सदा के लिए नहीं रहती। जैसे ही नेता जनता की नजरों से उतरता है, स्वतः शक्तिविहीन हो जाता है। ममता को भी यह बात अच्छी तरह से ज्ञात होगी! इतना होने पर भी ममता आग से खेलने की तैयारी कर रही हैं तो किस ताकत के बल पर!

लोकतंत्र में जनता के द्वारा विधिवत् चुनी गई सरकार को भंग किया जाना श्रेयस्कर नहीं माना जा सकता किंतु जब चुनी हुई सरकार निरंकुश आचरण करने लगे अथवा प्रदेश में अराजकता फैल जाए तो उसे भंग करके जनता को फिर से अपनी पसंद की सरकार चुनने का अवसर देना पूरी तरह लोकतांत्रिक पद्धति है।

भारत के संविधान ने केन्द्र सरकार को जिम्मदारी दी है कि वह राज्य की जनता को अराजकता एवं निरंकुश शासन से बचाए। ममता की सरकार निरंकुश आचरण कर रही है तथा राज्य में अराजकता फैल गई है, इसलिए केन्द्र सरकार को शीघ्र ही कोई निर्णय लेना चाहिए।

यदि ममता की धमकी प्रधानमंत्री के अपमान तक सीमित रहती तो एक अलग तरह का मामला होता किंतु ममता की धमकी देश की अस्मिता के लिए खतरे के रूप में दिखाई दे रही है। इसलिए इस बात पर विचार किया जाना आवश्यक है कि ममताबनर्जी की असली ताकत कौन है?

इससे पहले कि पश्चिमी बंगाल में स्थितियां भयावह मोड़ लें, केन्द्र सरकार को कोई समुचित कदम उठाना चाहिए। यदि केन्द्र सरकार पश्चिमी बंगाल की जनता के हितों की रक्षा करने में अक्षम रहती है तो केन्द्र सरकार भी भारत की जनता का विश्वास खो देगी। जनता का विश्वास ही लोकतंत्र की असली ताकत है।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source