Tuesday, February 4, 2025
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मैं भी जाट हूँ

एक बार ब्रिटिश संसद के अध्यक्ष बर्नाड वैदरहिल डॉ. बलराम जाखड़ से कहा था कि मैं भी जाट हूँ । यह किस्सा सुनाने से पहले हम राजस्थान के एक गांव में रहने वाली सुनहरी बालों वाली लड़की का किस्सा जानते हैं।

उन्नीस सौ नब्बे के दशक के अंतिम वर्षों में, मैं नागौर में जिला सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी के पद पर पदस्थापित था। जब कारगिल का युद्ध हुआ तो नागौर जिले में भारतीय थल सेना की एक पूरी डिवीजन तैनात की गई।

नागौर राजस्थान के लगभग केन्द्र में स्थित है। इसलिये यहाँ से राजस्थान के पाकिस्तान से लगते हुए पूरे बॉर्डर पर अर्थात् श्रीगंगानगर जिले के हिन्दूमलकोट से लेकर बाड़मेर जिले के शाहगढ़ तक भारतीय सैनिक टुकड़ियों को एक ही समय में पहुंचाया जा सकता था।

उस बटालियन के कुछ उच्च सैन्य अधिकारी नियमित रूप से मेरे कार्यालय में आते थे और मुझसे नागौर जिले की भौगोलिक, सामाजिक, राजनैतिक संरचना के बारे में पूछताछ करते रहते थे। उनमें से कुछ अधिकारी थोड़े खुल गये तो आवश्यकता होने पर अवकाश के दिन मेरे निवास पर भी आने लगे।

एक दिन कर्नल मलिक (पूरा नाम अब याद नहीं) ने मुझसे कहा कि मैं हरियाणा का जाट हूँ। नागौर जिले में भी बहुत बड़ी संख्या में जाट रहते हैं, उनकी कुछ विशेषताएं बताइये।

मैंने कर्नल मलिक से कहा कि इस प्रश्न का जवाब मैं बाद में दूंगा, मेरे साथ चलिये आज मैं आपको स्पार्टा की राजकुमारी दिखाकर लाता हूँ। कर्नल उत्सुकतावश मेरे साथ चल दिया। मैं कर्नल और उसके साथी अधिकारियों को निकटवर्ती गांव की एक प्राइमरी स्कूल में ले गया।

वहाँ उसे मैंने सात-आठ साल की एक ऐसी लड़की दिखाई जो देहयष्टि से सचमुच यूनानी दिखती थी। उसकी पतली लम्बी गर्दन, सुनहरी बाल, गोरा रंग और भूरापन लिये हुए सुन्दर शरबती सी आंखें। कर्नल हैरान रह गया।

बोला, क्या यह सचमुच स्पार्टा से आई है? मैंने हंसकर जवाब दिया। यह तो इसी गांव की बच्ची है किंतु ऐसा लगता है कि सैंकड़ों साल पहले इसके पूर्वज अवश्य यूनान से आये होंगे। इसी कारण यह ऐसी दिखाई देती है।

मैंने कर्नल को बताया कि यह अकेली ऐसी लड़की नहीं है, यहाँ बहुत से बच्चे ऐसे मिल जायेंगे जिनके बाल बचपन में सुनहरी रंग के होते हैं और जब वे बड़े होते हैं तो उनके बाल काले हो जाते हैं।

कर्नल ने मुझसे पूछा, तो क्या जाटों के पूर्वज यूनान से भारत आये थे? मैं इस प्रश्न का कोई समुचित जवाब तो नहीं दे सका किंतु मैंने उसे कुछ वर्ष पहले घटित हुआ एक किस्सा सुनाया जो भारत की लोकसभा के अध्यक्ष डॉ. बलराम जाखड़ के साथ घटित हुआ था।

एक बार संसद अध्यक्षों का एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ जिसमें डॉ. बालराम जाखड़ भी गये। वहाँ उनकी भेंट ब्रिटिश संसद के अध्यक्ष बर्नाड वैदरहिल से हुई। बातों-बातों में जाखड़ ने उन्हें बताया कि ‘मैं भारत के पंजाब राज्य का रहने वाला हूँ और जाट कम्यूनिटी से हूँ।’

इस पर वैदरहिल ने भी जाखड़ को अपना परिचय देते हुए कहा, मैं भी जाट हूँ ।

कर्नल मलिक इस घटना को सुनकर हैरान रह गया।

मैंने कर्नल को यह भी बताया कि मैंने सुना है कि डेनमार्क देश में एक जिला जुटलैण्ड नाम से जाना जाता है और यह माना जाता है कि जाट मूलतः जुटलैण्ड के निवासी हैं। कर्नल मेरी इस बात से सोच में पड़ गया और मुझसे विदा लेकर चला गया।

 बाद में एक दिन उसने मुझे बताया कि वह कई स्कूलों और गांवों में जाकर जाट जाति के बच्चों को देखकर आया है, आपकी बात सही है। ऐसे कई बच्चे हैं जिन्हें यदि यूरोपियन्स की तरह कपड़े पहना दिये जायें तो कोई कह ही नहीं सकता कि ये भारतीय हैं।

इस प्रकार सामान्य रूप से आरम्भ हुआ वार्तालाप न केवल उस कर्नल के लिये अपितु मेरे लिये भी इतिहास की पहेली बन गया।

जब कुछ साल बाद मैंने नागौर जिले का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास लिखा तो इस प्रश्न पर भी कुछ तथ्य जुटाने की चेष्टा की और अपनी तरफ से निष्कर्ष प्रस्तुत किया, जिसे उस समय बेहद सराहा गया। इन तथ्यों की चर्चा लगभग पूरे राजस्थान में हुई।

– डॉ. मोहनलाल गुप्ता

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