कांग्रेसी सांसद राहुल गांधी का आचरण एक बार फिर से सवालों के घेरे में है। राहुल गांधी वर्ष 2004 से सार्वजनिक जीवन में हैं। इस आलेख में उनके द्वारा सार्वजनिक रूप से किए जा रहे आचरण पर संक्षेप में चर्चा की गई है तथा यह समझने का प्रयास किया गया है कि राहुल गांधी द्वारा विगत बीस वर्ष में किया गया आचरण गुण्डागर्दी की श्रेणी में आता है या नहीं! यह भी समझने का प्रयास किया गया है कि क्या राहुल गांधी की सांसदी फिर से जाएगी!
19 दिसम्बर 2024 को भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने संसद परिसर में सैंकड़ों सांसदों के बीच में राहुल गांधी को ‘गुण्डागर्दी करते हो, बूढ़े को गिरा दिया, शर्म नहीं आती’ कहकर धिक्कारा।
एक समय था जब संसद में पक्ष-विपक्ष के सांसदों में ऐसी गरिमामय नोंकझोंक होती थी कि उसे सुनने वाला भी आनंद से भर जाता था। एक बार भाजपा की सांसद विजयाराजे सिंधिया ने लोकसभा में अपनी सीट से खड़े होकर कहा कि दिल्ली में गुण्डागर्दी इतनी अधिक बढ़ गई है कि किसी सभ्य महिला का सड़क पर निकलना मुश्किल हो गया है। इस पर किसी कांग्रेसी सांसद ने हंसते हुए कहा था कि बहिनजी फिर आपको तो कोई मुश्किल नहीं होती होगी। कांग्रेसी सांसद की इस हाजिर जवाबी पर पूरी लोकसभा में जोर का ठहाका लगा था।
इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि संसद में गुण्डागर्दी पर चर्चा तब भी होती थी और आज भी होती है किंतु आज के कांग्रेसी सांसदों का अंदाज बदल गया है।
माना जाता है कि गुण्डा शब्द भारत में इटली से आया है। पांचवीं शताब्दी ईस्वी में इटली के शासक ऑलिब्रियस के समय में शासन की सारी शक्ति उसके प्रधानमंत्री रिसीमेर और उसके भतीजे गुण्डोबैड के हाथों में रही। गुण्डोबैड इतना बुरा व्यक्ति था कि इटैलियन और अंग्रेजी भाषाओं में ‘गुण्डा’ एवं ‘बैड’ शब्द ‘बुराई’ के अर्थ में प्रयुक्त होने लगे।
बात इधर-उधर न चली जाए, इसलिए वापस मूल विषय पर अर्थात् राहुल गांधी पर आते हैं। राहुल गांधी पर आरोप है कि उन्होंने 19 दिसम्बर 2024 को भाजपा के दो सांसदों को धक्का दिया जिससे दोनों को गंभीर चोटें लगीं और उन्हें आईसीयू में भर्ती करवाकर उनका एमआरआई करवाना पड़ा।
राहुल गांधी ने बीजेपी के सांसदों को धक्का दिया या नहीं, राहुल गांधी का यह कृत्य गुण्डागर्दी की परिभाषा में आता है या नहीं, यह तो भविष्य ही बताएगा जब पुलिस के अनुसंधान और न्यायालयों की बहसों के बाद अंतिम निर्णय निकलेगा।
राहुल गांधी का सबसे पहला आपत्तिजनक आचरण तब सामने आया था, जब उन्होंने डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा बनाए गए एक कानून को सार्वजनिक मंच पर फाड़कर फैंका था। ऐसी हरकत राहुल गांधी को क्या सिद्ध करती है?
राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक को मोहनदास कर्मचंद गांधी की हत्या के लिए बिना किसी आधार पर सैंकड़ों बार हत्यारा कहा और अंत में उन्हें कोर्ट में जाकर अपने इस गैरजिम्मेदार आचरण के लिए माफी मांगनी पड़ी। राहुल गांधी का यह आचरण किस श्रेणी में आता है?
राहुल गांधी ने भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री के लिए एक बार सार्वजनिक रूप से कहा कि बेरोजगारी इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि देश का युवा नरेन्द्र मोदी को सड़कों पर जूतों से पीटेगा। ऐसा भड़काऊ बयान देकर क्या राहुल गांधी देश के युवाओं को हिंसा का मार्ग आपाने के लिए कह रहे थे? राहुल का यह आचरण क्या उन्हें किसी सभ्य इंसान की श्रेणी में रखता है?
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए असम्मानजनक एवं हल्के शब्दों का प्रयोग सार्वजनिक रूप से कई बार किया है। राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी के संदर्भ में सार्वजनिक रूप से यह तक कहा कि सारे मोदी चोर क्यों होते हैं? इस वक्तव्य पर राहुल गांधी की सांसदी तक चली गई थी। मामला अब भी सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है।
2019 के लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी ने सार्वजनिक सभाओं में चौकीदार चोर है के नारे लगवाकर देश के प्रधानमंत्री को बदनाम करने का कुकृत्य किया।
राहुल गांधी संसद में सम्पूर्ण हिन्दू जाति को हिंसक कह चुके हैं। क्या सम्पूर्ण हिन्दू जाति को हिंसक बताने वाली भाषा किसी भी जिम्मेदार आदमी की हो सकती है?
19 दिसम्बर को ही नागालैण्ड के एक आदिवासी समुदाय से आने वाली सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष एक शिकायत प्रस्तुत की है कि राहुल गांधी ने मेरे एकदम निकट आकर मुझे डांटा। राहुल मेरे इतने पास आ गए कि मुझे अपमान का अनुभव हुआ। क्या यह हरकत किसी सभ्य मनुष्य की हो सकती है? राहुल गांधी तो एक प्रधानमंत्री के पुत्र हैं, एक प्रधानमंत्री के पोते हैं, एक प्रधानमंत्री के पड़पोते हैं। इतनी शालीन विरासत के बावजूद कोई आदमी सार्वजनिक आचरण के सामान्य सिद्धांत सीखने से कैसे वंचित रह सकता है।
इस प्रकार राहुल गांधी सार्वजनिक रूप से जिस शब्दावली का प्रयोग करते रहे हैं उसे सभ्य नहीं माना जाता किंतु सहन कर लिया जाता है किंतु राहुल गांधी ने 19 दिसम्बर 2024 को संसद परिसर में जो आचरण किया है, वह आचरण कानून की परिभाषा में राहुल गांधी को क्या सिद्ध करेगा, यह तो अब कोई न्यायालय ही तय करेगा किंतु जनता अपने नेताओं से इस तरह के आचरण की अपेक्षा नहीं करती, शायद उसे सहन भी नहीं करना चाहेगी। क्या राहुल की सांसदी फिर से जाएगी, क्या वे जेल जाएंगे, क्या होगा, यह सब भविष्य के गर्भ में है।
– डॉ. मोहनलाल गुप्ता