Sunday, September 8, 2024
spot_img

पटेल प्रधानमंत्री नहीं बने

सरदार पटेल ने जीवन भर गांधीजी का साथ दिया था किंतु गांधीजी को सरदार पटेल के स्थान पर जवाहर लाल नेहरू अधिक पसंद थे। संभवतः इसका कारण यह था कि नेहरू और गांधी दोनों का झुकाव औरतों की तरफ अधिक था जबकि सरदार पटेल योगियों की तरह जीवन जीते थे। इस कारण गांधीजी ने नेहरू को प्रधानमंत्री बनाने की ठान ली तथा पटेल प्रधानमंत्री नहीं बने!

1946 में कांग्रेस प्रेसीडेंसी के चुनावों में 16 प्रांतीय कांग्रेस कमेटियों में से 13 ने सरदार पटेल को, 2 ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को तथा 1 ने गांधीजी को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव भेजा किंतु गांधीजी ने पटेल की बजाय नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया। यह निर्णय कांग्रेस को हैरान करने वाला था।

गांधीजी पहले भी चार बार इसी तरह का उल्टा-पुल्टा कर चुके थे। 1927 में पटेल के नाम के प्रस्ताव आये थे किंतु उनके स्थान पर मुख्तार अहमद अंसारी को अध्यक्षता दी गई। 1929 में पटेल के स्थान पर नेहरू को अध्यक्षता दी गई। 1936 में पटेल के स्थान पर नेहरू को अध्यक्षता दी गई।

सरदार वल्लभ भाई पटेल - www.bharatkaitihas.com
To Purchase this Book Please Click on Image

1939 में सुभाषचंद्र बोस के नाम पर प्रस्ताव आये किंतु गांधीजी ने पट्टाभि सीतारमैया को अध्यक्ष बनाने की ठान ली। सुभाष ने सीतारमैया के विरुद्ध चुनाव लड़कर जीत प्राप्त की किंतु गांधीजी ने नाराज होकर कांग्रेस छोड़ दी। इस पर सुभाषचंद्र खिन्न होकर कांग्रेस छोड़ गये।

1946 में भी गांधीजी ने पटेल के स्थान पर नेहरू को अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया। इस बार अध्यक्ष पद में विशेष बात यह थी कि कुछ ही दिनों बाद भारत में अंतरिम सरकार का गठन किया जाना था। वायसराय द्वारा उसी व्यक्ति को सरकार का गठन करने के लिये आमंत्रित किया जाना था जो कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर हो।

इसलिये गांधीजी चाहते थे कि पटेल के स्थान पर नेहरू को अध्यक्ष बनाया जाये ताकि वही भारत के प्रधानमंत्री बन सकें। गांधीजी की इच्छा का आदर करते हुए पटेल ने अपनी दावेदारी त्याग दी और नेहरू का समर्थन किया। वायसराय ने नेहरू को प्रधानमंत्री बनने के लिये आमंत्रित किया और पटेल देखते ही रह गये। पटेल प्रधानमंत्री नहीं बने!

आजादी के बाद भी नेहरू को प्रधानमंत्री और पटेल को उपप्रधानमंत्री बनवाया गया। नेहरू ने विदेश मंत्रालय अपने पास रखा और पटेल को गृह मंत्रालय दिया गया।

गांधीजी ने नेहरू के स्थान पर पटेल को प्रधानमंत्री पद के लिये क्यों चुना इस पर इतिहासकार एवं आलोचक बहुत माथापच्ची करते रहे हैं। अधिकांश लोगों का मानना है कि गांधीजी को लगता था कि नेहरू हैरो, कैम्ब्रिज तथा लंदन से पढ़े हुए थे, जबकि पटेल भारत की गंवई पाठशालाओं के विद्यार्थी थे।

इसलिये पटेल की बजाय नेहरू, अंग्रेंजों से बात करने में अधिक सक्षम थे। दुर्गादास ने लिखा है कि गांधीजी को लगता था कि नेहरू ने यूरोप, चीन, रूस आदि देशों की यात्रा की थी इसलिये अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी से बात करने में नेहरू अधिक सक्षम थे।

कुछ लोगों का मानना है कि गांधीजी को लगता था कि मुसलमानों से सहानुभूति के मामले में पटेल की बजाय नेहरू, गांधीजी के विचारों के अधिक निकट थे। इसलिये पटेल की बजाय नेहरू को प्रधानमंत्री बनाकर देश उनके हाथों में सौंपा गया।

पटेल प्रधानमंत्री नहीं बने तो इसके पीछे एकमात्र कारण गांधजी का अहंकार था। इसके अतिरिक्त और कोई कारण नहीं था क्योंकि भारत की जनता ने तो पटेल को प्रधानमंत्री बनाने की इच्छा व्यक्त की थी न कि नेहरू को!

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source