Tuesday, December 3, 2024
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जिन्ना का पाकिस्तान बनाम पाकिस्तान का जिन्ना!

मुहम्मद अली जिन्ना ने पंजाब और बंगाल में लगभग पांच लाख भारतीयों का रक्त बहाकर पाकिस्तान तो पा लिया किंतु न तो जिन्ना का पाकिस्तान किसी काम का नहीं था!

पाकिस्तान बनने के बाद मुहम्मद अली जिन्ना एकांतप्रिय और चिड़चिड़ा हो गया। राष्ट्र का बड़े से बड़ा और छोटे से छोटा अधिकार उसने अपने हाथों में रखा हुआ था।

जिन्ना के सैन्य-सचिव कर्नल बर्नी ने अपनी डायरी में लिखा है- ‘जिन्ना की दशा उस बच्चे जैसी हो गई थी जिसे किसी चमत्कारवश चांद मिल गया हो और अब वह एक पल के लिए भी उसे छोड़ने को तैयार नहीं था।

…… भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान सरकार को दी गई काम चलाऊ अग्रिम राशि शीघ्र ही समाप्त हो गई। इसलिए भारत से भाग-भाग कर पाकिस्तान आए कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर दी गई। जिन्ना को वह अपमान सहना पड़ा जो उस जैसे गर्वीले व्यक्ति के लिए शर्म से डूब मरने वाली बात थी।

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…… पाकिस्तान बनने के बाद जिन्ना की सरकार ने ब्रिटिश ओवरसीज एयर कार्पोरेशन से एक हवाई जहाज चार्टर किया जो शरणार्थियों के वहन में उपयोग हुआ था। सरकार ने उस कार्पोरेशन के भुगतान का एक चैक जारी किया जो बाउंस हो गया। क्योंकि खाते में उतनी रकम नहीं थी।’

1947 में नए प्रधानमंत्री और कैबीनेट की शपथ ग्रहण के एक सप्ताह बाद जब पाकिस्तान में लोग रमजान के बाद ईद-उल-फित्र की पहली छुट्टी मना रहे थे, तब जिन्ना ने उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत की जनमत से चुनी गई सरकार को अपदस्थ कर दिया। सूबे के मुख्यमंत्री डॉ. खान के पास पर्याप्त बहुमत था किंतु जिन्ना ने वहाँ अपनी पार्टी की सरकार बनवा दी। जब जिन्ना द्वारा बनवाई गई सरकार प्रांतीय विधान सभा में विश्वास मत प्राप्त करने में असफल रही तो जिन्ना ने सभी बर्खास्त सदस्यों को गिरफ्तार करवा दिया और इस तरह से कृत्रिम बहुमत तैयार किया गया। ……. नौ माह बाद जिन्ना ने सिंध प्रांत की सरकार को अपदस्थ किया जो स्वयं उनके दल की थी। इसके बाद जिन्ना ने पंजाब सूबे की सरकार के राजमहल में तख्ता पलट करने का प्रयास किया।

जिन्ना द्वारा भारत को बदनाम करने के प्रयास

किसी समय हिन्दू-मुस्लिम एकता का दूत माने जाने वाले मुहम्मद अली जिन्ना ने अपने जीवन की अधिकतम ऊर्जा पाकिस्तान प्राप्त करने में लगाई। केवल एक वही था जिसकी वजह से पाकिस्तान का निर्माण होकर रहा किंतु जब पाकिस्तान का निर्माण हो गया तब जिन्ना ने भारत पर पाकिस्तान से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध नहीं रखने का आरोप लगाया। पाकिस्तान बनने के सात माह बाद उसने पाकिस्तान में अमरीकी राजदूत पॉल एलिंग से कहा कि उसकी (जिन्ना की) इच्छा थी कि भारत और पाकिस्तान के बीच वैसा ही सहयोग रहे जैसा अमरीका और कनाडा के बीच रहता है।

पॉल एलिंग ने वाशिंगटन भेजे गए अपने डिप्लोमेटिक टेलिग्राम में लिखा कि जिन्ना ने पाकिस्तान की भारत के साथ सैन्य स्तर पर ऐसी रक्षात्मक साझेदारी की चर्चा की जिसकी कोई तय सीमा नहीं थी। ये उसी तरह की साझेदारी होती जैसी कि अमेरिका ओर कनाडा के बीच है, जिसमें दो पड़ौसियों के बीच मोटे तौर पर बिना पहरे वाली सीमा होती, साझा सैन्यबल होता, मुक्त व्यापार होता और तमाम रास्तों के जरिए एक दूसरे के इलाके में दाखिल होने की आजादी होती।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

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