Sunday, December 22, 2024
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बारदोली आंदोलन

बारदोली आंदोलन सरदार पटेल द्वारा गुजरात में किए गए जनआंदोलनों के क्रम की महत्वपूर्ण कड़ी था। इस आंदोलन को कांग्रेस अथवा गुजरात सभा का आंदोलन नहीं कहा जा सकता। जब अंग्रेजों ने सरदार पटेल को बाहरी आदमी बताया तो सरदार पटेल ने गोरी सरकार से कहा, बारदोली में बाहरी मैं नहीं, आप हैं!

ई.1927 में अहमदाबाद अतिवृष्टि का शिकार होकर सिसक रहा था किंतु काठियावाड़ क्षेत्र के बारदोली ताल्लुके में उस वर्ष फसलें बहुत अच्छी हुईं। सरकार ने बारदोली पर 30 प्रतिशत भू-राजस्व बढ़ा दिया। यह सरासर अन्याय था। ऐसा कोई कानून नहीं था। इसलिये जनता ने सरदार पटेल से सम्पर्क किया।

सरदार ने बम्बई के गर्वनर से इस अन्यायपूर्ण आदेश को वापस लेने के लिये पत्र लिखा किंतु सरकार ने उन्हें जवाब नहीं दिया। जनता चाहती थी कि शीघ्र ही कुछ हो किंतु सरकार अपने निर्णय को लागू करने पर उतारू थी। वे सरदार से तुरंत आंदोलन आरम्भ करने के लिये कहने लगे।

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इस पर 8 फरवरी 1928 को बारदोली तहसील परिषद् की बैठक आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता सरदार पटेल ने की। इस बैठक में अहमदाबाद और आनंद से भी नेतागण भाग लेने आये। इनमें महादेव देसाई तथा आनंद स्वामी प्रमुख थे। इस परिषद में सरदार पटेल ने किसानों से पूछा कि यदि वे सरकार के विरुद्ध आंदोलन करेंगे तो सरकार उनकी जमीनें, मवेशी और घरबार छीन लेगी। उन्हें जेलों में ठूंस देगी। उनके गांवों में आग लगायेगी और औरतों तथा बच्चों पर डण्डे बरसायेगी। क्या वे इतनी तकलीफें सहन करने को तैयार हैं ?

किसानों ने उन्हें कहा कि यदि सरदार पटेल उनका नेतृत्व करते हैं तो वे ये तकलीफें सहन करने के लिये तैयार हैं। परिषद में निर्णय लिया गया कि सरकारी अन्याय का विरोध करने के लिये व्यापक आंदोलन चलाया जाये किंतु उससे पहले बम्बई के गवर्नर को एक पत्र लिखकर इस आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया जाये। पटेल ने बम्बई के गवर्नर को पत्र लिखकर कर वापस लेने का निवेदन किया किंतु गवर्नर ने पटेल को संक्षिप्त पत्र लिखकर सूचित किया कि उनका पत्र कानूनी परीक्षण के लिये भूमिकर विभाग को भेज दिया गया है।

जब सरकार ने कोई सकारात्मक उत्तर नहीं दिया तो बारदोली में सत्याग्रह का आयोजन किया गया। 12 फरवरी 1928 को बारदोली में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया जिसमें वंदे मातरम् के उद्घोष के साथ किसानों ने आंदोलन आरम्भ कर दिया। इस पर सरकारी अधिकारियों ने अखबारों में वक्तव्य छपवाये कि सरदार पटेल बाहरी आदमी हैं, उनका बारदोली से क्या सम्बन्ध है ?

सरदार पटेल ने अखबारों में उग्र प्रतिक्रिया देते हुए गरजकर कहा कि यह मेरा देश है, मैं जहाँ भी जाऊँ, इस देश का ही कहलाउंगा। बाहरी तो अंग्रेज हैं जो इस देश में आकर अन्यायपूर्ण तरीके से अधिकार करके बैठ गये हैं इसलिये अंग्रेजों को यहाँ से बाहर जाना चाहिये, न कि मुझे।

15 फरवरी 1928 को सरकार ने बारदोली क्षेत्र के 60 महाजनों को बढ़ा हुआ भूमिकर तत्काल जमा करवाने के आदेश दिये। उनमें से से दो महाजनों ने बढ़ा हुआ कर जमा करवा दिया। बारदोली के किसानों ने उन महाजनों का सामाजिक बहिष्कार करने की घोषणा की। इस पर सरदार ने लोगों को समझाया कि वे केवल सरकार से लड़ें, आपस में लड़ना ठीक नहीं है।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

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